दो या दो से अधिक क्रिया नही करने वाले पदार्थों के समांगी मिश्नण को विलयन कहते है।
- द्विअंगी विलयन
- त्रिअंगी विलयन
- बहुअंगी विलयन
- चतुरअंगी विलयन
द्विअंगी विलयन :-
वे विलयन जिसमे दो अवयव उपस्थित रहते है उसे द्विअंगी विलयन कहते है।
द्विअंगी विलयन के दो अवयव निम्नलिखित है :-
वे पदार्थ जिसको दूसरे पदार्थ में मिलाया जाता है तथा विलयन में जिसकी मात्रा कम होती है उसे विलेय कहते है।
- इसे घुल्य भी कहा जाता है जैसे नमक , चीनी इत्यादि।
विलायक :-
वे पदार्थ जिसको दूसरे पदार्थ में मिलाया या घुलाया जाता है तथा जिसकी मात्रा विलयन में अधिक होता है उसे विलायक कहते है।
- इसे घोलक भी कहा जाता है जैसे जल , बेंजीन इत्यादि।
अर्थात;
घोल = घुल्य + घोलक
विलयन = विलेय + विलायक
जल की उपस्थिति या अनुपस्थिति के आधार पर विलयन को दो भोगो में बाटा गया है :-
- जलीय विलयन
- अजलीय विलयन
जलीय विलयन :-
वे विलयन जिसमे विलायक के रूप में जल उपस्थित रहते है उसे जलीय विलयन कहते है जैसे , सरबत इत्यादि।
अजलीय विलयन :-
वैसा विलयन जिसमे विलायक के रूप में जल उपस्थित नही रहते है उसे अजलीय विलयन कहते है जैसे , मिश्रधातु।
विलयन के प्रकार :-
विलायक की उपस्थिति के आधार पर विलयन को तीन भागो में बाटा गया है :-
- ठोस विलयन
- द्रव्य विलयन
- गैसीय विलयन
ठोस विलयन :-
वे विलयन जिसमे विलायक के रूप में ठोस उपस्थित रहता है उसे ठोस विलयन कहते है।
विलेय की प्रकृति के आधार पर ठोस विलयन को तीन भागो में बाटा गया है :-
- ठोस में ठोस विलयन
- ठोस में द्रव्य विलयन
- ठोस में गैस विलयन
ठोस में ठोस विलयन :-
वैसा विलयन जिसमे विलायक और विलेय दोनों ठोस होता है उसे ठोस में ठोस विलयन कहते है। जैसे , तांबा में जिंक ( पीतल )
ठोस में द्रव्य विलयन :-
वैसा विलयन जिसमे विलेय द्रव्य तथा विलायक ठोस होता है उसे ठोस में द्रव्य विलयन कहते है जैसे , सोना में पारा।
ठोस में गैस विलयन :-
वैसा विलयन जिसमे विलेय गैस तथा विलायक ठोस होता है उसे ठोस में गैस विलयन कहते है जैसे हाइड्रोजन का पैलेडियम।
द्रव्य विलयन :-
वे विलयन जिसमे विलायक के रूप में द्रव्य उपस्थित रहते है उसे द्रव्य विलयन कहते है।
विलेय की प्रकृति के आधार पर द्रव्य विलयन को तीन भागो में बाटा गया है :-
- द्रव्य में ठोस
- द्रव्य में द्रव्य
- द्रव्य में गैस
द्रव्य में ठोस :-
वैसा विलयन जिसमे विलेय ठोस तथा विलायक द्रव्य होता है उसे द्रव्य में ठोस कहते है जैसे , जल में चीनी , जल में गुलकोज।
द्रव्य में द्रव्य :-
वैसा विलयन जिसमे विलेय द्रव्य तथा विलायक द्रव्य हो उसे द्रव्य में द्रव्य कहते है जैसे , जल में शराब या पानी में अल्कोहल।
वैसा विलयन जिसमे विलेय गैस तथा विलायक द्रव्य हो उसे द्रव्य में गैस कहते है जैसे ,जल में घुला हुआ ऑक्सीजन।
वे विलयन जिसमे विलायक के रूप में गैस उपस्थित रहता है उसे गैसीय विलयन कहते है।
विलेय की प्रकृति के आधार पर गैसीय विलयन को तीन भागो में बाटा गया है :-
- गैस में ठोस विलयन
- गैस में द्रव्य विलयन
- गैस में गैस विलयन
गैस में ठोस विलयन :-
वैसा विलयन जिसमे विलेय ठोस तथा विलायक गैस होता है उसे गैस में ठोस विलयन कहते है जैसे , हवा में कपूर।
गैस में द्रव्य विलयन :-
वैसा विलयन जिसमे विलेय द्रव्य तथा विलायक गैस हो उसे गैस में द्रव्य विलयन कहते है जैसे , हवा में अमोनिया।
गैस में गैस विलयन :-
वैसा विलयन जिसमे विलेय तथा विलायक दोनों गैस होता है उसे गैस में गैस विलयन कहते है जैसे , ऑक्सीजन तथा नाइट्रोजन का मिश्रण।
किसी विलयन की सान्द्रता को व्यक्त करने की निम्नलिखित विधि है :-
- प्रतिशतता ( Percentage )
- भाग प्रतिमिलयन ( Parts permition )
- मोल प्रभाज ( Mole fraction )
- मोलरता ( Molarity )
- मोललता ( Molality )
- सामान्यता ( Normality )
- ग्राम तुल्यांक संख्या ( No. of gneaulivalent )
प्रतिशतता :-
प्रतिशतता व्यक्त करने की तीन विधि है :-
100 ग्राम विलयन में उपस्थित विलेय की द्रव्यमान या मात्रा को द्रव्यमान प्रतिशतता कहते है।
- इसे w/w % से सूचित किया जाता है।
द्रव्यमान प्रतिशतता = विलेय का द्रव्यमान/विलयन का द्रव्यमान * 100
आयतन प्रतिशतता :-
100 mL विलयन में उपस्थित विलेय का आयतन को आयतन प्रतिशतता कहते है।
- इसे v/v % से सूचित किया जाता है
आयतन प्रतिशतता = विलेय का आयतन/विलयन का आयतन * 100
द्रव्यमान आयतन प्रतिशतता :-
100 ml विलयन में उपस्थित विलेय के द्रव्यमान को उस विलेय का द्रव्यमान आयतन प्रतिशतता कहते है।
- इसे w/v % से सूचित किया जाता है।
द्रव्यमान आयतन प्रतिशतता = विलेय का द्रव्यमान/विलयन का आयतन * 100
भाग प्रतिमिलयन :-
किसी विलयन के 106 भाग मे उपस्थित विलेय के भागो की संख्या को भाग प्रतिमिलयन कहते है।
- इसे Ppm से सूचित किया जाता है
- जिस विलयन मे विलेय की मात्रा बहुत कम होती है उस विलेय की सांद्रता व्यक्त करने के लिए Ppm का प्रयोग किया जाता है
- Ppm = विलेय की भागो की संख्या/विलयन के कुल भागो की संख्या * 106
मोल प्रभाज :-
किसी विलयन मे उपस्थित एक अवयव के मोलो की संख्या और उस विलयन के सभी अवयवो के मोलो की संख्या के अनुपात को मोल प्रभाज कहते है।
- इसे मोल अंश भी कहा जाता है।
- इसे x से सूचित किया जाता है
- इसका कोई मात्रक नही होता है
- इसके दोनो अवयवो के मोल प्रभाज का योग 1 होता है।
A का मोल प्रभाज = A के मोलो की संख्या/A के मोलो की संख्या + B के मोल की संख्या
xA = nA/nA+nB
जहाँ nA = A अवयवो के मोलो की संख्या , nB = B अवयवो के मोलो की संख्या
मोलरता :-
किसी विलयन के एक लिटर या 1000 ml मे उपस्थित विलेय के मोलो की संख्या को उस विलयन की मोलरता कहते है।
- इसे M से सूचित किया जाता है
- यह ताप द्वारा प्रभावित होता है
मोलरता = विलेय की मोलो की संख्या/विलयन का आयतन(ml) *1000
मोललता :-
किसी विलयन के 1 kg या 1000g विलायक मे उपस्थित विलेय की मोलो की संख्या को उस विलयन की मोललता कहते है।
- इसे m से सूचित किया जाता है
- यह ताप द्वारा प्रभावित नही होता है
मोललता = विलेय की मोलो की संख्या/विलायक का द्रव्यमान(kg मे )