Manish Sharma

विधुत क्षेत्र रेखाएँ क्या है?

विधुत क्षेत्र रेखाएँ  

विधुत क्षेत्र में यदि कोई सूक्ष्म धन आवेश चलने के लिए स्वतंत्र हो तो जिस पथ से होकर वह छल चल सकता है उसी पथ को विधुत क्षेत्र रेखा कहते है।

  • इसे विधुत बल रेखाएँ भी कहा जाता है 
  • यह एक ऐसा काल्पनिक वक्र रेखा है जिनसे होकर कोई अकेला धन आवेश चल सकता है 
विधुत क्षेत्र रेखा का गुण :-
  • विधुत क्षेत्र रेखाएँ धन आवेश से उत्पन्न होती है और ऋणावेश पर खत्म होती है 
  • विधुत क्षेत्र रेखा के किसी बिंदु पर खिची गई स्पर्श रेखा उस बिंदु पर विधुत क्षेत्र की दिशा बताती है 
  • किसी स्थान पर क्षेत्र रेखाओ का दूर - दूर होना विधुत क्षेत्र का कमजोर होना प्रदर्शित करता है तथा क्षेत्र रेखाओ का पास - पास होना विधुत क्षेत्र का प्रबल होना प्रदर्शित करता है 
  • विधुत क्षेत्र रेखाएँ एक दूसरे को प्रप्रतिच्छेद नही करती है 
  • एक समान विधुत क्षेत्र में खिची गई क्षेत्र रेखाएँ परस्पर समांतर और एक दूसरे से बराबर दूरी पर होती है 
  • आवेशित चालक से निकलने वाली क्षेत्र रेखाएँ चालक के तल के लंमबत होती है 
  • विधुत क्षेत्र रेखाएँ बंद लुप नही बनाती है 
दो विधुत क्षेत्र रेखाएँ एक दूसरे को नही काट सकती है क्यों 

दो विधुत क्षेत्र रेखाएँ एक दूसरे को नही काट सकती है क्योकि किसी भी बिंदु पर विधुत क्षेत्र की केवल एक ही दिशा हो सकती है अतः प्रत्येक बिंदु से केवल एक ही क्षेत्र रेखा गुजर सकती है यही कारण है की विधुत क्षेत्र रेखाएँ एक दूसरे को नही काट सकती है यदि दो विधुत क्षेत्र रेखाएँ एक दूसरे को काटती तो कटान बिंदु पर दो स्पर्श रेखाएँ खिची जा सकती है जो उस बिंदु पर विधुत क्षेत्र की दो दिशाएँ प्रदर्शित करेगी परन्तु यह सभव नही है। 

एक धन आवेशित बिंदु आवेश से उत्पन्न विधुत क्षेत्र रेखाएँ :-

इस बिंदु आवेश के निकट रखने पर वह प्रतिकर्षण बल का अनुभव करेगा अतः यह अनंत तक सीधी रेखा में त्रिज्यत्तः चला जाएगा इसलिए एकल धनआवेश से उत्पन्न विधुत क्षेत्र रेखाए धन आवेश से प्रारंभ होकर सरल रेखाओ में अनंत तक चली जाती है। 

ऋणावेशित बिंदु आवेश से उत्पन्न विधुत क्षेत्र रेखाएँ :-   

एकल ऋणावेश के विधुत क्षेत्र में किसी धनावेश को रखने पर वह आकर्षण बल का अनुभव करेगा तथा अनंत से चलकर ऋणावेश तक आ जाएगा अतः एकल ऋणावेश के कारण उत्पन्न विधुत क्षेत्र रेखाएँ अनंत से चलकर सीधी रेखा में त्रिज्यतः ऋणावेश तक आ जाती है।

विधुत द्विध्रुब अर्थात अल्प दूरी पर रखे दो बराबर परिमाण और विपरीत प्रकृति के बिंदु आवेशों से उत्पन्न विधुत क्षेत्र रेखाएँ :-

ये क्षेत्र रेखाएँ धनावेश से प्रारंभ होकर ऋणावेश पर समाप्त हो जाती है तथा ये विजातीय आवेशों के बीच परस्पर आकर्षण व्यक्त करता है। 


दो बराबर ऋणावेश द्वारा उत्पन्न विधुत क्षेत्र रेखाएँ :-

जब हवा में एक दूसरे से कुछ दूरी पर स्थित दो बराबर ऋणावेश के निकाय के चारो ओर की क्षेत्र रेखाएँ परस्पर प्रतिकर्षण व्यक्त करती है इससे उत्पन्न विधुत क्षेत्र रेखाएँ निम्न प्रकार से होती है। 


एक समान विधुत क्षेत्र में उत्पन्न क्षेत्र रेखाएँ :-

एक समान विधुत क्षेत्र में उत्पन्न विधुत क्षेत्र रेखाएँ परस्पर समांतर और एक दूसरे से बराबर दूरी पर होती है। 

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