Manish Sharma

न्यूटन का गति नियम क्या है यह कितने प्रकार के होते है ?

 गति का नियम 

सर्वप्रथम गैलिलियो नामक वैज्ञानिक ने गति के संद्र्भ में अध्ययन करके कुछ बताने का प्रयास किया लेकिन मुर्त्यु होने के पशचात सर आइजेक न्यूटन ने गति के संदर्भ में कुछ बताने का प्रयास किया जिसे न्यूटन का गति नियम कहते है इस नियम को उन्होंने प्रिसिपिया नामक पुस्तक में प्रकाशित किया था जिस वर्ष गैलिलियो की मुर्त्यु हुई थी उसी वर्ष न्यूटन का जन्म हुआ था इसलिए न्यूटन के गति नियम को गैलिलियो का गति नियम भी कहा जाता है।

न्यूटन के तीन गति नियम निम्नलिखित है :-  

  1. प्रथम गति नियम 
  2. द्वितीय गति नियम 
  3. तृतीय गति नियम 
 न्यूटन का प्रथम गति नियम :-

कोई वस्तु विरामा वस्था मे या समरूप सरलरेखिक गति मे तब तक बनी रहती है जब तक की कोई बाँह असंतुलित बल कार्य न करे 

  • प्रथम गति नियम को गैलीलियो का जड़त्व नियम भी कहा जाता है 
  • न्यूटन के प्रथम गति नियम से बल एवं जड़त्व की परिभाषा प्राप्त होती है 
जड़त्व (Inertia)

किसी वस्तु का वह स्वभाविक गुण जिसके कारण वह वस्तु विराम की अवस्था अथवा एक समान गति की अवस्था बनाए रखना चाहती है उसे जड़त्व कहते है 

जड़त्व तीन प्रकार के होते है :-

  1. विराम का जड़त्व 
  2. गति का जड़त्व 
  3. दिशा का जड़त्व 
विराम का जड़त्व :-

किसी वस्तु का वह स्वभाविक गुण जिस गुण के कारण कोई वस्तु गति मे बने रहना चाहती है उसे विराम का जड़त्व कहते है  

गति का जड़त्व :- 

किसी वस्तु का वह स्व्भविक गुण जिस गुण के कारण कोई वस्तु गति मे बना रहना चाहती है उसे गति का जड़त्व कहते है 

दिशा का जड़त्व :-

किसी वस्तु का वह स्वभाविक गुण जिस गुण के कारण कोई वस्तु दिशा मे बने रहना चाहती है उसे दिशा का जड़त्व कहते है 

न्यूटन के द्वितीय नियम त्वरण के पदों मे :-

यदि किसी वस्तु पर कोई बाँह असंतुलित बल आरोपित किया जाता है तो वस्तु मे उत्पन त्वरण उस पर आरोपित बल के समानुपाती होता है तथा उनके द्रव्यमान के व्युत्क्रमानुपाती होता है अर्थात यदि m द्रव्यमान की किसी वस्तु पर F बल आरोपित किया जाता है तो वस्तु मे a त्वरण उत्पन्न होता है अतः न्यूटन के द्वितीय गति नियम से , 

         a  F ---समीकरण (1)
          1/m ---- समीकरण (2)
         समीकरण (1) तथा (2) से 
         a = F/m 
         a =K*F/m 
         यदि K = 1 हो तो 
         a = 1*F/m 
         F = ma  जहाँ m = द्रवमान , a = त्वरण , F = बल 

न्यूटन का द्वितीय गति नियम संवेग के पदों मे :-

संवेग मे परिवर्त्तन की दर आरोपित बल के समानुपाती होता है तथा संवेग मे परिवर्त्तन उसी दिशा मे होता है जिस दिशा मे बल आरोपित किया जाता है 

      अर्थात,
       P2 – P1/t समानुपाती F 
      जहाँ P1 = प्रारभिक संवेग 
             P2  = अंतिम संवेग 
              t = समय 

न्यूटन का तृतीय गति नियम :-

प्रतेक किर्या के बराबर और विपरीत प्रतिकिर्या होती है। 
  • तृतीय गति नियम दो वस्तुओं के बीच लगने वाले बल के साथ संबंध दर्शाते है 
क्रिया (action):-

जब एक वस्तु दूसरे वस्तु पर बल लगती है उसे क्रिया कहते है तथा जब दूसरी वस्तु पहली वस्तु पर बल लगाती है तो उसे प्रतिक्रिया कहते है अर्थात क्रिया एवं प्रतिक्रिया एक साथ होती है लेकिन दो अलग वस्तुओ पर कार्य करती है 

  • क्रिया तथा प्रतिक्रिया के समलित रूप को अन्योन्य क्रिया कहते है 
  • अन्योन्य क्रिया के लिए यह आवश्यक नही है की दोनों वस्तुएँ परस्पर संपर्क मे हो। 
न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण नियम :-

सन 1686 ई० मे न्यूटन नामक वैज्ञानिक ने गुरुत्वाकर्षण सबंधी एक नियम का प्रतिपादन किया जिसे न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण नियम कहते है इस नियम के अनुसार किन्ही दो वस्तुओ के बीच लगने वाला आकर्षण बल (गुरुत्वाकर्षण) उन दोनों वस्तुओ के द्रव्यमान के गुणनफल के समानुपाती होता है तथा उनके बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है 

यदि m1 तथा m2 दो वस्तु r दूरी पर स्थिर हो तो इस नियम के अनुसार उनपर क्रियाशील गुरुत्वाकर्षण बल 
            
 m1*m2

 1/r2

 =  m1*m2/r2

F = G*m1*m2/r2

जहाँ G =  गुरुत्वाकर्षण नियतांक 

        F = गुरुत्वाकर्षण बल 

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