निविड संकुलित संरचना
किसी क्रिस्टल की वैसी संरचना जिसमें अवयवी कण या गोला एक दूसरे के अत्यधिक सननिकट होते है तथा उनका घनत्व उच्च होता है लेकिन इनके बीच की दुरी न्यूनतम होती है उसे निविड संकुलित संरचना कहते है।
- इस प्रकार के संकुलन या पैकिंग को निविड संकुलित या सिमित पैकिंग कहते है
- अधिक निविड संकुलित वाले क्रिस्टल की संरचना अधिक स्थाई होता है जबकि कम निविड संकुलित वाले क्रिस्टल की संरचना कम स्थाई होती है
- निविड संकुलन गोले की आकृति , प्रकृति तथा ध्रुवता पर निर्भर करता है।
किसी क्रिस्टल के त्रिविमीय निविड संकुलन तीन चरणों में संपन्न होता है :-
- एक विमीय निविड संकुलन
- द्विविमीय निविड संकुलन
- त्रिविमीय निविड संकुलन
एक विमीय निविड संकुलन :-
वैसा निविड संकुलन जिसमें गोला एक पंक्ति या कतार में एक दूसरे को स्पर्श करते हुए व्यस्थित रहते है उसे एक विमीय निविड संकुलन कहते है
- इसमें सभी गोले के केन्द्र एक सीध में होते है
- इस प्रकार के संकुलन से क्रिस्टल के किनारे का निर्माण होता है
- एक निविड संकुलन में एक गोला का उपसंहसंयोजन संख्या 2 होता है
द्विविमीय निविड संकुलन :-
वैसा निविड संकुलन जिसमे एक विमीय निविड संकुलन वाले कतारों को एक दूसरे से सटाकर रखा जाता है उसे द्विविमीय निविड संकुलन कहते है
- इसमें क्रिस्टल का सतह या पृष्ठ का निर्माण होता है
- द्विविमीय वर्ग निविड संकुलन
- द्विविमीय षटकोणीय निविड संकुलन
द्विविमीय वर्ग निविड संकुलन :-
वैसा द्विविमीय निविड संकुलन जिसमें दुसरी कतार को पहली कतार के संपर्क में इस प्रकार रखा जाता है कि दूसरी कतार वाले गोले पहली कतार वाले गोले के ठीक सामने आ जाए उसे द्विविमीय वर्ग निविड संकुलन कहते है
- इसे द्विआयामी वर्ग सिमित पैकिंग भी कहा जाता है
- इसमें कतारे क्षैतिज और उदर्ग दोनों ओर फैली रहती है तथा सभी कतारे समान होती है
- यदि एक कतार को A मान लिया जाएं तो ऐसी व्यवस्था में A A A ------- कहलाती है
- ऐसी व्यवस्था में प्रत्येक गोला चार अन्य गोले के संपर्क में रहता है अतः प्रत्येक गोले की समान्वय संख्या 4 होती है।
- यदि चारों गोलों के केन्द्र को मिला दिया जाए तो वर्ग का निर्माण होता है इसलिए इस प्रकार के पैकिंग को वर्गीय पैकिंग कहा जाता है।
द्विविमीय षटकोणीय निविड संकुलन :-
वैसा द्विविमीय निविड संकुलन जिसमे दुसरी कतार के गोलों को इस प्रकार रखा जाता है की पहले कतार के गोले के गर्त में आ जाए तथा तीसरे कतार के गोले पहले कतार के गोले के ठीक सामने आ जाए तो उसे द्विविमीय षटकोणीय निविड संकुलन कहते है
- इसे द्विआयामी षटकोणीय निविड संकुलन भी कहा जाता है
- इसमे यदि पहले कतार को A तथा दूसरे कतार को B मान लिया जाए तो तीसरा कतार A होगा अतः इस प्रकार की व्यवस्था को AB AB A-------कहा जाता है
- ऐसी व्यवस्था में प्रत्येक गोला छः अन्य गोलों के संपर्क में रहता है इसमें समन्वय संख्या 6 होती है
- यदि छः गोलों के केन्द्र को एक दूसरे से मिला दिया जाए तो षटकोणीय संरचना का निर्माण होता है इसलिए इस प्रकार के पैकिंग को षटकोणीय सीमित पैकिंग कहा जाता है।
त्रिविमीय निविड संकुलन संरचना :-
सभी वास्तविक संरचनाए त्रिविमीय संरचनाए होते है यह संरचना द्विविमीय परतो को एक दूसरे के ऊपर रखने से प्राप्त की जा सकती है।
त्रिविमीय निविड संकुलन संरचना दो प्रकार से प्राप्त हो सकती है :-
- द्विविमीय वर्ग निविड संकुलित परतो से त्रिविमीय निविड संकुलित संरचना
- द्विविमीय षटकोणीय निविड संकुलित परतो से प्राप्त त्रिविमीय निविड संकुलित संरचना
द्विविमीय वर्ग निविड संकुलित परतो से त्रिविमीय निविड संकुलित संरचना :-
प्रथम द्विविमीय वर्ग निविड संकुलित परत के ऊपर द्वितीय वर्ग निविड संकुलित परत को इस प्रकार रखा जाता है कि ऊपरी परत के गोले प्रथम परत के गोले के ठीक ऊपर रहे तो त्रिविमीय वर्ग निविड संकुलित संरचना प्राप्त होती है
- इस व्यवस्था में दोनों परतो के गोले पूर्णरूप से क्षैतिज तथा ऊधर्वाधर रूप से सीधे पाए जाते है
- यदि प्रथम परत के गोलों की व्यवस्था को A प्रकार कहा जाए तो अन्य सभी परतो को भी A प्रकार का ही व्यवस्था कहा जाएगा। अतः इस प्रकार की त्रिविमीय व्यवस्था को AAA ------व्यवस्था कहते है
- इस व्यवस्था के फलस्वरूप निर्मित जालक को सरल घनीय जालक कहा जाता है तथा इस जालक को एकक कोष्ठिका को सरल घनीय एकक कोष्ठिका कहा जाता है
- इस व्यवस्था में प्रत्येक गोले की उपसहयोजन की संख्या 6 होती है।
द्विविमीय षटकोणीय निविड संकुलित परतो से प्राप्त त्रिविमीय निविड संकुलित संरचना :-
द्विविमीय षटकोणीय निविड संकुलित परतो से त्रिविमीय षटकोणीय निविड संकुलित संरचना प्राप्त होती है।
द्विविमीय षटकोणीय निविड संकुलित परतो से प्राप्त त्रिविमीय निविड संकुलित संरचना दो प्रकार के होते है :-
- द्विविमीय परत को प्रथम परत पर रखकर :-
सर्वप्रथम एक द्विविमीय षटकोणीय निविड संकुलित परत लेते है जिसे A परत कहते है इस प्रथम परत पर द्वितीय षटकोणीय निविड संकुलित परत को इस प्रकार रखा जाता है की द्वितीय परत के गोले प्रथम परत के गोले के गर्त में फिट हो जाए चूकि दोनों परतो के गोले भिन्न प्रकार से सजे होते है इसलिए द्वितीय परत का नाम B परत रखा जा सकता है।
- तृतीय परत को द्वितीय परत पर रखकर :-
इस स्थिति में दो संभवनाएँ बनती है
- टेट्राहेडेरल का रिक्तिया :-
जब तृतीय परत को द्वितीय परत पर इस प्रकार रखा जाता है की गोले चतुष्फलकीय को अच्छादित करे तो तृतीय विमीय निविड संकुलन ABAB ------ व्यवस्था प्राप्त होती है जिसमे तृतीय परत के गोले ऊधर्वाधर रूप में संरेखित होते है Be , Mn ,Mo षटकोणीय निविड संकुलित संरचना में क्रिस्टलीयकृत होते है।
- ऑक्टाहेडेरल का रिक्तियों का अच्छादित :-
तीसरी परत को दूसरी परत पर इस प्रकार रखा जाता है की उसके अष्टफलकीय रिक्तियाँ को अच्छादित कर ले तथा तृतीय परत के गोले प्रथम या द्वितीय परत किसी भी परत के साथ संरेखित नहीं होते है तब इसे ABC ABC ----- व्यवस्था कहते है।
- इसे ccp या Fcc व्यवस्था भी कहा जाता है Cu तथा Ag इस संरचना में क्रिस्टलीय होते है।
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