क्रिस्टल जालक ( crystal lattice ) :-
बिन्दुओ का वह प्रतिरूप जो किसी क्रिस्टल मे उपस्थित अवयवी कणो की त्रिविमीय व्यवस्था को प्रदर्शित करता है उसे क्रिस्टल जालक कहते है।
- इसे आकाशीय जालक ( space lattice ) भी कहा जाता है।
क्रिस्टल जालक की विशेषताएँ :-
- क्रिस्टल जालक मे अवयवी कण जिस बिंदु या स्थान पर उपस्थित रहते है उसे जालक बिंदु ( lattice point ) या जालक स्थल ( Lattice site ) कहते है
- क्रिस्टल जालक का प्रत्येक बिंदु एक अवयवी कणो को प्रदर्शित करता है
- दो जालक बिंदुओ को एक सीधी रेखा से मिलाने पर क्रिस्टल जालक की ज्यामितीय आकृति प्राप्त होती है।
एकक कोष्ठिका ( unit cell ) :-
क्रिस्टल जालक का वह छोटा से छोटा भाग जो बार - बार पुर्नावृति होकर किसी दिए गए ठोस पदार्थ के सम्पूर्ण क्रिस्टल का निर्माण करता है उसे एकक कोष्ठिका कहते है।
- इसे इकाई सेल भी कहा जाता है
- यह क्रिस्टल जालक की एक पुर्नावृति इकाई है
- इसमे बारह (12) किनारे छः ( 6 ) फलक तथा आठ ( 8 ) कॉंर्नर होते है
- एकक कोष्ठिका मे तीन अक्षीय लम्बाई ( a , b , c ) तथा तीन अक्षीय कोण ( α , β , ¥ ) होते है।
अक्षीय लम्बाई ( Axial lenght ) :-
किसी एकक कोष्ठिका मे अक्ष के अनुदिश लंम्बत किनारे को अक्षीय लम्बाई कहते है।
- अक्षीय लम्बाई ( a , b , c ) होते है
अक्षीय कोण ( Axial angle ) :-
दो अक्षीय लम्बाई के बीच के कोण को अक्षीय कोण कहते है।
- किसी एकक कोष्ठिका मे तीन अक्षीय कोण ( α , β , ¥ ) होते है।
एकक कोष्ठिका के प्रकार :-
अवयवी कणो की व्यवस्था के आधार पर एकक कोष्ठिका को दो भागो मे बाटा गया है :-
- सरल घनीय एकक कोष्ठिका ( simple cubic unit cell )
- केन्द्रित घनीय एकक कोष्ठिका ( centred cubic unit cell )
सरल घनीय एकक कोष्ठिका :-
वे एकक कोष्ठिका जिसमे अवयवी कण केवल आठो कार्नर पर ही उपस्थित रहते है उसे सरल घनीय एकक कोष्ठिका कहते है।
- इसे SCC से सूचित किया जाता है
- इसे आध्य एकक कोष्ठिका ( Primeitive unit cell ) भी कहा जाता है।
वे एकक कोष्ठिका जिसमे अवयवी कण कॉर्नर के आलावा अन्य स्थानो पर भी उपस्थित रहते है उसे केन्द्रीय घनीय एकक कोष्ठिका कहते है।
- इसे C.CC से सूचित किया जाता है।
केन्द्रीय घनीय एकक कोष्ठिका तीन प्रकार के होते है :-
- फलक केन्द्रीय घनीय एकक कोष्ठिका ( Face centred cubic unit cell )
- पिंड केन्द्रित घनीय एकक कोष्ठिका ( Body centred cubic unit cell )
- अन्त्य केन्द्रित घनीय एकक कोष्ठिका ( End centred cubic unit cell )
फलक केन्द्रीय घनीय एकक कोष्ठिका :-
वे एकक कोष्ठिका जिसमे अवयवी कण कॉर्नर के आलावा सभी फलको के केन्द्र पर उपस्थित रहते है उसे फलक केन्द्रीय घनीय एकक कोष्ठिका कहते है।
वे एकक कोष्ठिका जिसमे अवयवी कण कॉर्नर के अलावा केन्द्र मे उपस्थित रहते है उसे पिंड केन्द्रित घनीय एकक कोष्ठिका कहते है।
- इसे bcc से सूचित किया जाता है
- इसे अंतः केन्द्रीय घनीय एकक कोष्ठिका भी कहा जाता है
अन्त्य केन्द्रीय घनीय एकक कोष्ठिका :-
वे एकक कोष्ठिका जिसमे अवयवी कण कॉर्नर के अलावा दो विपरीत फलको के बीच केन्द्र मे उपस्थित रहते है उसे अन्त्य केन्द्रीय घनीय एकक कोष्ठिका कहते है।
सरल घनीय एकक कोष्ठिका ( SC ) मे :-
SC मे केवल आठो कॉर्नर पर ही परमाणु उपस्थित रहते है चूकि कॉर्नर पर के परमाणु आठ एकक कोष्ठिका से साझा करके रहते है।
- अतः सरल घनीय एकक कोष्ठिका मे उपस्थित परमाणु की संख्या 1 होती है।
फलक केन्द्रित घनीय एकक कोष्ठिका ( F.CC ) मे :-
F.CC मे आठो कॉर्नर के अलावा 6 फलको के केन्द्र पर उपस्थित रहते है चूकि कॉर्नर पर के परमाणु आठ एकक कोष्ठिका से साझा करके रहते है।
- अतः फलक केन्द्रित घनीय एकक कोष्ठिका मे उपस्थित परमाणुओ की संख्या 4 होती है।
पिंड केन्द्रित घनीय एकक कोष्ठिका ( b.cc ) :-
आठो कॉर्नर के अलावा पिंड के केन्द्र पर उपस्थित रहते है चूकि कॉर्नर पर के परमाणु आठ एकक कोष्ठिका से साझा करके रहते है।
- अतः पिंड केन्द्रित घनीय एकक कोष्ठिका मे उपस्थित परमाणुओ की संख्या 2 होती है।
अन्त्य केन्द्रित घनीय एकक कोष्ठिका (E.C.C):-
आठो कॉर्नर के आलावा दो विपरीत फलको के केन्द्र में उपस्थित रहते है चूकि कॉर्नर पर के परमाणु आठ एकक कोष्ठिका से साझा करके रहते है तथा फलक के परमाणु दो एकक कोष्ठिका से साझा करके रहते है।
- अतः अन्त्य केन्द्रित घनीय एकक कोष्ठिका में उपस्थित कुल परमाणुओ की संख्या 2 होती है।
उपसहसयोजन संख्या ( co- ordination number ):-
यदि किसी ठोस में उपस्थित कणो को गोला मान लिया जाए तो गोले के सन्निकट गोलो की संख्या को उस गोलो की उपसहसयोजन संख्या कहते है जैसे b.cc की उपसहसयोजन संख्या 8 होती है।
- इसे C.N से सूचित किया जाता है
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