Manish Sharma

पदार्थ क्या है? पदार्थ की कितनी अवस्थाएँ है?

 पदार्थ ( Matter )

ब्रह्मांड का वह भाग जिसमे कुछ द्रव्यमान हो जो स्थान घेरता हो तथा जो रुकावट डाल सके उसे पदार्थ कहते है। जैसे लकड़ी , जल, मिट्टी 

पदार्थ की मुख्यत तीन अवस्थाएँ है लेकिन चौथी एंव पाँचवी की भी खोज हो चुकी है :- 

  1. ठोस अवस्था ( Solid State )
  2. द्रव अवस्था ( Liquid State )
  3. गैसीय अवस्था ( Gaseous State )
  4. प्लाज्मा अवस्था ( Plasma State )
  5. बोस आइन्स्टाइन कंडसेट ( Boss Enstein Condenset )
ठोस अवस्था ( Solid State ) :-

पदार्थ की वैसी अवस्था जिसका आकार एंव आयतन दोनों निश्चित होता है तथा जिसके अवयवी कण निश्चित क्रम मे व्यवस्थित रहते है उसे ठोस अवस्था कहते है। जैसे Nacl , गैस इत्यादि 

ठोस के निम्नलिखित विशेषताए है :-
  • इसका आकार एंव आयतन दोनो निश्चित होते है 
  • इसके अणुओं के बीच अन्तराणविक आकर्षण बल प्रबल होता है 
  • इसके अणुओ के बीच अन्तराणविक दूरी नगण होती है 
  • इसका घनत्व उच्च होता है 
  • इसका गलनांक उच्च होता है 
  • इसमे बहने की प्रवति नही होती है आर्थात ये तरल नही होते है 
  • ये प्राय कठोर होते है 
समदेसिकता ( Isotrophy ) :-

वे ठोस जिसमे उष्मीय चालकता , विधुत चालकता , यांत्रिक प्रबलता तथा अपवर्तनांक जैसे भौतिक गुण सभी दिशाओ मे समान होते है उसे समदेसिक कहते है तथा इस गुण को समदेसिकता कहा जाता है। 

विषम देसिकता ( Anisotropy ) :-

वे ठोस जिसमे उष्मीय चालकता , विधुत चालकता , यांत्रिक प्रबलता तथा अपवर्तनांक जैसे भौतिक गुण सभी दिशाओ मे समान नही होते है उसे विषम देसिकता कहते है। 

ठोस के अवयवी कण ( Component of Solid ) :-

ठोस पदार्थ जिन कणो से मिलकर बने होते है उसे अवयवी कण कहते है 
  • इसे घटक भी कहा जाता है 
  • ठोस के अवयवी कण प्राय अणु , परमाणु तथा आयन होते है 
ठोस के प्रकार ( Type of Solid ) :-

अवयवी कणो की व्यवस्था के आधार पर ठोस को दो भागो मे बाटा गया है 
  1. क्रिस्टलीय ठोस ( Crystalline Solid )
  2. अक्रिस्टलीय ठोस ( Amorphous Solid )
क्रिस्टलीय ठोस ( Crystalline Solid ) :-

वे ठोस जिसमे अवयवी कण नियमित क्रम मे व्यवस्थित होते है तथा बार-बार पुणावृति कर एक निश्चित पैटर्न बनाते है उसे क्रिस्टलीय ठोस कहते है। 
  • इसे वास्तविक ठोस ( Real Solid ) कहा जाता है 
  • इसे दीर्घ परासी व्यवस्ता ( Long rang order ) होता है 
  • ये विषम देशिक होते है 
  • इसमे स्पष्ट विदलन होता है 
  • इसका गलनांक निश्चित होता है 
  • इसका घनत्व उच्च होता है जैसे धातु , हीरा , ग्रेफाइट इत्यादि। 
अक्रिस्टलीय ठोस ( Amorphous Solid ) :-

वे ठोस जिसमे अवयवी कण नियमित क्रम मे व्यवस्थित नही होते है तथा बार-बार पूणावृति कर एक निश्चित पैटर्न नही बनाते है उसे अक्रिस्टलीय ठोस कहते है 
  • इसे छदम ठोस ( Pseudo Solid ) कहा जाता है 
  • इसमे लघु परासी व्यवस्था होता है 
  • ये समदेशिक होते है 
  • इसमे स्पष्ट विदलन नही होता है 
  • इसका गलनांक निश्चित नही होता है 
  • इसका गलन ऊष्मा निश्चित नही होता है 
  • इसका घनत्व उच्च नही होता है 
  • जैसे रबर , कांच , प्लास्टिक इत्यादि। 
क्रिस्टलीय ठोस के प्रकार ( types of Crystaline Solid ) :-

अवयवों कणो की प्रकृति तथा उनके बीच आबंध कि प्रकृति के आधार पर क्रिस्टलीय ठोस को चार भागो मे बाटा गया है :-
  1. आयनिक ठोस 
  2. सहसंयोजक ठोस 
  3. धात्विक ठोस 
  4. आण्विक ठोस  
आयनिक ठोस :-

वे क्रिस्टलीय ठोस जिसमे अवयवी कण आयन ( धनायन तथा ऋणायन ) होते है तथा वे परस्पर स्थिर विधुत आकर्षण बल द्वारा जुड़े होते है उसे आयनिक ठोस कहते है। 

आयनिक ठोस की विशेषताएँ :-

  • ये धनायन तथा ऋणायन के गुछे के रूप मे रहते है जो विधुत : उदासीन होते है 
  • ये कठोर एंव भंगूर होते है 
  • इनके अवयवों कणो के बीच आयनिक बंधन या कुलाम्बिक बल होता है 
  • इसका द्रव्यनांक तथा कवथनांक काफी उच्च होता है 
  • ये ठोस अवस्था मे विधुत के कुचालक जबकि द्रवित या विलयन के अवस्था मे विधुत के सुचालक होते है 
  • ये जल तथा अन्य ध्रुवीय विलायक मे घुलनशील होते है जबकि अध्रुवीय विलायक जैसे एसीटो तथा बेंजीन मे अघुलनशील होते है 
सहसंयोजक ठोस :-

वे क्रिस्टलीय ठोस जिसमे अवयवी कण परमाणु के रूप मे होते है तथा ये परस्पर सहसंयोजन बंधन द्वारा जुड़े होते है उसे सहसंयोजन ठोस कहते है। 

सहसंयोजक ठोस की विशेषताएँ :-
  • ये कठोर होते है 
  • इसका द्रव्यनांक तथा कवथनांक काफी उच्च होता है 
  • इसे नेटवर्क ठोस भी कहा जाता है 
  • ये प्राय: त्रिविमीय संरचना का निर्माण करता है 
  • इसके अपवर्तनांक अति उच्च होते है 
  • ये उच्च कंपनावृति वाले प्रकाश को अवशोषित कर लेते है 
  • ये ग्रेफाइट को छोड़कर विधुत के कुचालक होते है 
धात्विक ठोस :-

वे क्रिस्टलीय ठोस जिसमे अवयवी कण धात्विक परमाणु होते है तथा जो परस्पर धातुई बंधन द्वारा जुड़े होते है उसे धात्विक ठोस कहते है। 

धात्विक ठोस की विशेषताएँ :-
  • ये प्राय: कठोर होते है 
  • इसका द्रव्यनांक तथा कवथनांक अति उच्च होता है 
  • इसका घनत्व अति उच्च होता है 
  • इसमे विशेष प्रकार की चमक होती है 
  • ये विधुत के सुचालक होते है 
आण्विक ठोस :-

वे क्रिस्टलीय ठोस जिसमे अवयवी कण अणु के रूप मे होते है तथा जो परस्पर वांडर बल या द्विध्रुव आकर्षण या हाइड्रोजन बंधन द्वारा जुड़े होते है उसे आण्विक ठोस कहते है। 

आण्विक ठोस की विशेषताएँ :-
  • ये कठोर एंव मुलायम होते है 
  • इसका द्रव्यनांक तथा कवथनांक निम्न होते है 
  • इसका घनत्व निम्न होते है 
  • ये विधुत के कुचालक होते है 
  • ये परस्पर दुर्बल वांडर वाल बल द्वारा जुड़े होते है

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