Manish Sharma

हेनरी का नियम और रॉवल का नियम क्या है?

 हेनरी का नियम ( Henrys law ) :-

हेनरी नामक वैज्ञानिक ने सन 1802 ईo मे द्रव मे गैसों की विलेयता तथा आरोपित दाब के बीच संबध स्थापित करने के लिए एक नियम का प्रतिपादन किया जिसे हेनरी का नियम कहते है। 

इस नियम के अनुसार :-

स्थिर ताप पर किसी दिए गए द्रव मे गैस की विलेयता आरोपित दाब के समानुपाती होता है अर्थात 

                        [ S ]  ∝ P

                     [ S ] ∝ KH.P 

                     [ S ] = गैस की विलेयता 

                    K = हेनरी नियतांक 

                    P = गैस का आंशिक दाब 

मोल प्रभाज के पदो मे हेनरी का नियम :-

किसी विलयन मे गैस का आंशिक दाब विलयन मे गैस के मोल - प्रभाज के समानुपाती होता है अर्थात ,

                           P ∝ x 

                       p =  KH.x

                    जहाँ p = गैस का आंशिक दाब 

                            K= हेनरी नियतांक 

                            x = गैस का मोल प्रभाज 

हेनरी के नियम से ,

p =  KH.x

K= p/x-----समीकरण (1)

हेनरी नियतांक = गैस का आंशिक दाब/गैस का मोल प्रभाज 

समीकरण (1) से स्पष्ट है कि दिए गए दाब पर KH  का मान अधिक होने पर द्रव मे गैस की विलेयता कम होगी 

  • नाइट्रोजन तथा ऑक्सीजन दोनो के लिए  Kका मान ताप बढने पर बढ़ता है अतः ताप घटाने पर विलेयता बढ़ती है यही कारण है कि जल मे रहने वाले जीव गर्म जल की अपेक्षा ठंडे जल मे अधिक आराम महसूस करते है 
हेनरी के नियम के उपयोग :-
  1. अत्यधिक ऊचाई पर सतही स्थानो की अपेक्षा ऑक्सजीन का आंशिक दाब कम होता है जिससे इन स्थानो पर रहने वाले लोगों एंव आरोहको के खून तथा उतको मे ऑक्सीजन की सान्द्रता कम होने लगती है जिस कारण आरोहक कमजोरी एंव स्पष्ट रूप से सोचने मे कठनाई महसूस करने लगते है इन लक्षणो को एनोक्सिया कहा जाता है। 
  2. गहरे समुन्द्र मे जाने वाले गोताखोर द्वारा इस्तेमाल किए गए यंत्र मे जब ऑक्सीजन का आंशिक दाब कम हो जाता है तो ऑक्सीजन गैस को हिलियम के साथ मिश्रित कर गोताखोर तक पहुँचाया जाता है ताकि उन्हे सॉस लेने मे कठिनाई न हो। 
  3. स्फाट ड्रिक तथा सोडा वाटर मे co2की विलेयता बढ़ाने के लिए बोतल को उच्च दाब पर पैक किया जाता है एवं बोतल को खोलने पर विलयन के ऊपर co2 का आंशिक दाब कम हो जाता है और गैस विलयन से बुलबुले के रूप मे निकलने लगते है। 
हेनरी के नियम की परिसीमाएं :-

यह नियम मुख्यतः आदर्श गैसो के लिए लागू होता है 
  1. ताप और दाब न तो बहुत अधिक हो और न ही बहुत कम हो 
  2. गैस की द्रव मे विलेयता कम हो 
  3. गैस की विलायक के साथ कोई रासायनिक अभिक्रिया नही होती है अतः यह नियम HCl,NH3आदि गैसो के साथ लागू नही होता है क्योकि ये गैसे जल के साथ अभिक्रिया करते है 
  4. गैस विलायक मे घुलकर संयोजन या वियोजन नही करता है।  
रॉवल का नियम ( Raoults law ):-

सन 1881ई0 मे रॉवल नामक वैज्ञानिक ने विलयन के वाष्पदाब मे अवनमय तथा विलेय के सान्द्रण मे सबंध स्थापित करने के लिए एक नियम का प्रतिपादन किया जिसे रॉवल का नियम कहते है 

इस नियम के अनुसार :-

" किसी तनु विलयन के वाष्पदाब का आपेक्षिक अवनमय उसमे उपस्थित विलेय के मोल प्रभाज के बराबर होता है "
यदि किसी विलयन मे विलेय की मोलो की संख्या n1 तथा विलायक के मोलो की संख्या n2 हो तो रॉवल के नियम से ,

Po-Ps/Po  =  xsolute

Po-Ps/P = n1 – n2/ n1

वाष्पदाब :-

साम्यावस्था मे किसी निश्चित ताप पर वाष्प द्वारा द्रव की सतह पर आरोपित दाब को वाष्पदाब कहते है। 
  • इसे VP से सूचित किया जाता है। 
वाष्पदाब का अवनमय :-

जब किसी विलायक मे किसी अवाष्पशील विलेय को मिलाया जाता है तो विलयन का वाष्प दाब शुद्ध विलायक के वाष्प दाब से कम हो जाता है इसे वाष्पदाब का अवनमय कहते है। 
यदि शुद्ध विलायक का वाष्पदाब = Po
विलयन का वाष्पदाब = Ps
वाष्पदाब का अवनमय = Po-Ps

वाष्पदाब का आपेक्षिक अवनमय :-

वाष्पदाब के अवनमय तथा शुद्ध विलायक के वाष्पदाब के अनुपात को वाष्पदाब के आपेक्षिक अवनमय कहते है। 

वाष्पदाब के आपेक्षिक अवनमय = Po-Ps/Po

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