Manish Sharma

बोर का परमाणु मॉडल और बोर ब्यूरी योजना क्या है

 बोर का परमाणु मॉडल 

रदरफोड की त्रुट्टी दूर करने तथा हाइड्रोजन स्पेक्ट्रम की व्यख्या करने के लिए प्लेक सिद्वांत की सहायता से नील्स बोर नामक वैज्ञानिक ने 1913 ई० मे परमाणु की संरचना के संद्र्भ मे एक मॉडल प्रस्तुत किया जिसे बोर का परमाणु मॉडल कहते है 

  • इसे बोर के परमाणु मॉडल की अभिधारनाएँ या अभिग्रहित भी कहा जाता है।
बोर के परमाणु मॉडल की मुख्य बाते :-
  • इलेक्ट्रॉन कुछ विशेष अणुमेय कक्षा मे ही नाभिक के चारो ओर चक्कर काटते रहते है। 
  • प्रत्येक अणुमेय कक्षा मे इलेक्ट्रॉन के साथ कक्षा की एक निश्चित मात्रा होती है इसलिए इन कक्षाओ को ऊर्जा स्तर या ऊर्जा सेल कहा जाता है। 
  • इन ऊर्जा स्तरो को क्रमश K , L , M , N , O , P , Q द्वारा निरूपित किया जाता है। 
  • जब तक कोई इलेक्ट्रॉन एक निश्चित कक्षा मे रहता है तब तक उसकी ऊर्जा स्थिर रहती है विभिन्न कक्षा वाले इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा भिन्न - भिन्न होती है। 
  • कुछ ऊर्जा का अवशोषण करने निकट वाली कक्षा ( निम्न ऊर्जा स्तर ) से दूर वाली कक्षा ( उच्च ऊर्जा स्तर ) मे कुदता है इसके विपरीत कुछ ऊर्जा का उत्सर्जन होने पर इलेक्ट्रॉन किसी दूर वाली कक्षा से निकट वाली कक्षा पर आता है अर्थात अवशोषित या उत्सरजीत की मात्रा दोनो कक्षाओ की उर्जाओ के अंतर के बराबर होती है। 
  • अणुमेय कक्षाओ या इलेक्ट्रॉन उसी कक्षा मे चक्कर काट सकते है जिसमे इलेक्ट्रॉन के कोणीय संवेग का मान  का पूर्ण अपवर्त होता है 
  • परमाणु के केन्द्र पर धनावेशित नाभिक होता है जिसका आवेश Ze के बराबर होता है 
  • इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारो ओर जिस वृताकार कक्षाओ में घुमते रहते है उसे स्थाई कक्षा कहा जाता है क्योकि इन कक्षाओं में घुमने वाले इलेक्ट्रॉन विकिरण उत्पनन नही करते है 
  • किसी भी स्थाई कक्षा के लिए इलेक्ट्रॉन और नाभिक के बीच क्रियाशील आकर्षण बल आवश्यक अभिकेन्द्र बल प्रदान करता है 
  • इलेक्ट्रॉन की सभी कक्षाएँ संभव नही है अर्थात इलेक्ट्रॉन केवल उन्ही कक्षाओ में घूम सकते है जिनमे उनका कोणीय संवेग h/2n का पूर्णगुणज होता है 
बोर के परमाणु मॉडल की परिसीमाएँ :-
  1. यह सिद्धांत एक से अधिक इलेक्द्रोन वाले परमाणुओ या आयनो के स्पेक्ट्रम की व्यख्या करने मे असफल रहा। 
  2. स्पेक्ट्रमी रेखाएँ वस्तुतः एक दूसरे से लगभग सटी हुई सूक्ष्म रेखाएँ की बनी होती है इस बात को बोर का सिद्धांत नही समझा पाता है। 
  3. यह सिद्धांत हाइजेक वर्ग के अनिशचिता के सिद्धांत के अनुकूल नही है। 
  4. चुंबकीय क्षेत्र मे स्पेक्ट्रमी रेखाएँ का सूक्ष्म रेखाओ मे विभक्त हो जाना या विधुतीय क्षेत्र मे इन रेखाओ के विभाजन की घटनाओ के बोर सिद्धांत के आलोक मे नही समझाया जा सकता है। 
बोर ब्यूरी योजना :-

किसी कक्षा मे इलेक्ट्रॉन की संख्या का निर्धारण करने के लिए सर्वप्रथम बोर और ब्यूरी नामक वैज्ञानिक ने एक योजना प्रस्तुत किया जिसे बोर ब्यूरी योजना कहते है। 
  •  किसी कक्षा मे अधिक से अधिक कितना इलेक्ट्रॉन रखा जा सकता है इसके लिए 2nसूत्र दिया गया है जहाँ n = कक्षा की संख्या 
  • किसी परमाणु के बाह्यतम कक्षा मे अधिक से अधिक 8 इलेक्ट्रॉन ही रह सकते है यह एक प्रमुख नियम है इसे अष्टम नियम भी कहा जाता है परमाणु की बाह्यतम कक्षा मे 8 इलेक्ट्रॉन के हो जाने पर वह परमाणु स्थाई बन जाता है 
  • परमाणु के बाह्यतम कक्षा के पहले वाले कक्षा मे अधिक से अधिक 18 इलेक्ट्रॉन ही रह सकते है 
  • बाह्यतम कक्षा मे दो से अधिक और उसके पहले वाले कक्षा मे 9 से अधिक इलेक्ट्रॉन तब तक नही हो सकते जब तक की इन दोनो के पहले वाले कक्षा मे इलेक्ट्रॉन की संख्या नियम के अनुसार पूर्ण नही हो जाती है 

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