लैंस ( Lens )
दो ज्यामितीय आकृति से घिरा हुआ वह पारदर्शी माध्यम जिसका कम से कम एक सतह वकृत हो उसे लैंस कहते है।
- यह प्रायः कांच का बना देता है।
- इसे ताल भी कहा जाता है।
लैंस मुख्यतः दो प्रकार के होते है :-
- गोलीय लैंस ( Sphcrical lens )
- बेलनाकार लैंस ( Cylindrical lens )
गोलीय लैंस :-
वैसा लैंस जिसका अपवर्तक सतह गोलाकार होता है उसे गोलीय लैंस कहते है।
गोलीय लैंस दो प्रकार के होते है :-
- उत्तल लैंस ( convex lens )
- अवतल लैंस ( concave lens )
उत्तल लैंस :-
वैसा लैंस जिसके बीच का भाग मोटा तथा किनारे का भाग पतला होता है उसे उत्तल लैंस कहते है।
- इसका दोनो अपवर्तक सतह उभरा होता है
- इसे अभिसारी लैंस भी कहा जाता है
उत्तल लैंस तीन प्रकार के होते है :-
- समतलोत्तल लैंस
- अवतलोतल लैंस
- उभयोत्तल लैंस
अवतल लैंस :-
वैसा लैंस जिसके किनारे का भाग मोटा तथा बीच का भाग पतला हो उसे अवतल लैंस कहते है।
- इसका दोनो अपवर्तक सतह धसा होता है
अवतल लैंस तीन प्रकार के होते है :-
- समतलावतल लैंस
- उत्तलावतल लैंस
- उभयावतल लैंस
बेलनाकार लैंस :-
वैसा लैंस जिसका अपवर्तक सतह बेलनाकार होता है उसे बेलनाकार लैंस कहते है।
उत्तल लैंस और अवतल लैंस मे अंतर :-
उत्तल लैंस :-
- इसके बीच का भाग मोटा होता है तथा किनारे का भाग पतला होता है
- इसका फोकस धनात्मक होता है
- इसका फोकस वास्तविक होता है
- इस लैंस को अभिसारी लैंस कहा जाता है
- इस लैंस मे प्रतिबिंब वास्तविक एंव काल्पनिक दोनो बनता है
अवतल लैंस :-
- इस लैंस के किनारे का भाग मोटा तथा बीच का भाग पतला होता है
- इसका फोकस ऋणात्मक होता है
- इसका फोकस काल्पनिक होता है
- इस लैंस को अपसारी लैंस कहा जाता है
- इस लैंस मे केवल काल्पनिक प्रतिबिंब बनता है
लेंस से सबंधित प्रमुख पद :-
वक्रता केंद्र :-
लेंस जिन दो खोखले गोले से मिलकर बना होता है उस गोले के केंद्र को लेंस का वक्रता केंद्र कहते है।
- किसी लेंस में दो वक्रता केंद्र होते है।
प्रधान अक्ष :-
किसी लेंस के दोनो वक्रता केंद्र को मिलाने वाली रेखा प्रधान अक्ष कहलाती है।
प्रकाशीय केंद्र :-
किसी लेंस के अंदर प्रधान अक्ष पर स्थित वह बिंदु जिनसे होकर प्रकाश की किरणे सीधे चली जाती है उसे प्रकाशीय केंद्र कहते है।
- इसे O से सूचित किया जाता है।
वक्रता त्रिज्या :-
किसी लेंस के प्रकाशीय केंद्र और वक्रता केंद्र के बीच की दूरी को उस लेंस की वक्रता त्रिज्या कहते है।
लेंस का द्वारक :-
किसी लेंस के परिधीय व्यास को लेंस का द्वारक कहते है।
लेंस का फोकस :-
प्रधान अक्ष के समांतर आ रही किरणे अपवर्तन के पशचात प्रधान अक्ष जिस बिंदु पर मिलती है या मिलती हुई प्रतित होती है उसे उस लेंस का फोकस कहते है।
- उत्तल लेंस का फोकस वास्तविक होता है
- अवतल लेंस का फोकस काल्पनिक होता है
- इसे मुख्य फोकस भी कहा जाता है।
फोकस दुरी :-
लेंस के प्रकाशीय केंद्र और मुख्य फोकस के बीच की दुरी को फोकस दुरी कहते है।
- उत्तल लेंस की फोकस दुरी धनात्मक होती है
- अवतल लेंस की फोकस दुरी ऋणात्मक होती है
- मोटे लेंस की फोकस दुरी पतले लेंस की अपेक्षा कम होती है
लेंस की क्षमता (power of lens ) :-
किसी लेंस के फोकस दूरी के व्युत्क्रम को लेंस की क्षमता कहते है.यदि किसी लेंस की फोकस दूरी f हो, तो उसकी क्षमता P = 1/f डॉयोप्टर होती है।
- इसे D से सूचित किया जाता है
- इसका S.I मात्रक डॉयोप्टर होता है
- उत्तल लेंस की क्षमता धनात्मक होती है
- अवतल लेंस की क्षमता ऋणात्मक होती है
- यदि दो लेंस को परस्पर सटाकर रख दे , तो उनकी क्षमताएँ जुड़ जाती है तथा संयुक्त लेंस की क्षमता दोनों लेंसों की क्षमताओ के योग के बराबर होता है।
उत्तल लेंस को अभिसारी लेंस क्यों कहा जाता है :-
उत्तल लेंस का प्रत्येक भाग अनेक छोटे - छोटे प्रिज्मों से मिलकर बना होता है उत्तल लेंस में प्रिज्मों का आधार प्रधान अक्ष की ओर होता है चूकि प्रिज्मों से होकर जाने वाली प्रकाश की किरणे हमेशा आधार की ओर झुक जाती है इसलिए उत्तल लेंस के ऊपर आधे भाग पर आपतित होने वाली किरणे नीचे की ओर तथा नीचे के आधे भाग पर आपतित होनेवाली किरणे ऊपर की ओर झुक जाती है इस तरह उत्तल लेंस द्वारा आपतित प्रकाश की किरणे लेंस की दूसरी ओर एक बिंदु पर अभिसृत होती है इसलिए उत्तल लेंस को अभिसारी लेंस कहा जाता है।
अवतल लेंस को अपसारी लेंस क्यों कहते है :-
अवतल लेंस का प्रत्येक भाग अनेक छोटे - छोटे प्रिज्मों बना हुआ मालूम पड़ता है अवतल लेंस के प्रिज्मों का आधार बाहर की ओर होता है प्रकाश की किरण जब अवतल लेंस पर आपतित होती है तो इससे निकलने के बाद फैलकर दूर - दूर हो जाती है इस तरह अवतल लेंस द्वारा प्रकाश की किरण एक बिंदु से अपसृत होती हुई मालूम होता है इसलिए अवतल लेंस को अपसारी लेंस कहते है।
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