शहरीकरण
शहरीकरण उस प्रक्रिया को कहते है जिसके अंतर्गत गॉंव क्रमशः छोटे कस्बे , शहर , नगर और महानगर में तबदील हो जाते है शहरों के उदय और विकाश में अनेक कारणों का योगदान रहा है इनमे आर्थिक राजनितिक और धर्मिक कारण प्रमुख है गॉंव और शहर की संरचना में मूलभूत अंतर होता है ग्रामीण लोगो की आजीविका कृषि , पशुपालन एवं घरेलू उधोग धंधो पर आश्रित रहती है गॉवो की जनसंख्या भी कम होती है आवास कच्चे और बेतरतीब ढंग से बने होते है इसके विपरीत शहरी अर्थव्यवस्था गैर - कृषि व्यवसायों पर आधारित होती है नगर में विभिन्न व्यवसायों - व्यापार , उधोग , नौकरी में लगे लोग रहते है शहरों में जनसंख्या का घनत्व गाँवो से अधिक होता है मकान साफ - सुथरे सुनियोजित ढंग से बने होते है सड़को और गलियों में रोशनी की व्यवस्था रहती है शहरों में बड़े - बड़े आलीशान मकान होते है शहर सामाजिक , राजनितिक , प्रशासनिक , सैनिक और धार्मिक गतिविधियों के केन्द्र होते है स्पष्ट रूप से गॉंव और शहर आंतरिक रूप से एक दूसरे से अलग होते है। शहरीकरण की प्रक्रिया में लंबा समय लगा है यधपि प्राचीन और मध्यकाल में भी अनेक शहर थे तथापि आधुनिक नगरों से उनका स्वरूप भिन्न था औधोगिकीकरण के बाद ही आधुनिक नगरों का विकाश हुआ। औधोगिकीकरण के कारण बड़ी संख्या में लोग रोजगार के अवसर की तलाश में कृषि और पशुपालन तथा कुटीर उधोगो को छोड़कर कल - कारखानों की ओर आकर्षित हुए आधुनिक काल के पूर्व भी बेहतर रोजगार की तलाश में लोग गाँवो से बाहर निकलते थे वे अपने कृषि उत्पादों और शिल्प की वस्तुओ को बेचने के लिए भी गॉंव से बाहर किसी एक केंद्र पर एकत्रित होते थे ये केंद्र हाट अथवा गंज के रूप में विकशित हुए गंज के इर्द - गिर्द कस्बा अथवा छोटे शहर का विकाश हुआ शहरीकरण की प्रक्रिया में आगे चलकर कस्बा से शहर , शहर से नगर एवं नगर से महानगर बने। ग्रामीण परिवेश से भिन्न ये स्थान नागरिक और अन्य आर्थिक गतिविधियों के केंद्र बन गए। सामंत और राजा उनके कर्मचारी उनकी सेना भी वहाँ रहने लगी उनके लिए भव्य भवन बनाए गए नगरों की सुरक्षा के लिए दुर्ग एवं घेराबंदी की व्यवस्था की गई नगर शिक्षा के भी केंद्र बन गए जैसे तलशिक्षा , नालंदा , विक्रमशिला इत्यादि। धार्मिक मान्यताओ के अनुकूल धार्मिक भवन भी बनवाए गए जहाँ लोग बड़ी संख्या में तीर्थयात्रा करने आते थे जैसे गया , वाराणसी , मथुरा इत्यादि इस प्रक्रिया द्वारा गॉंव शहरों में बदलने लगे। प्राचीनकाल से मध्यकाल तक शहरीकरण की सामान्य प्रक्रिया यही रही। शहरों की स्थापना नदियों के किनारे अथवा व्यापारिक मार्गो के निकट की गई इससे आर्थिक क्रियाकलापों में सुविधा मिली तथा नगरों की समृद्वि बढ़ी। आधुनिक काल में कल - कारखानों की स्थापना और राजनितिक परिवर्तनों से नगरों का स्वरूप बदला। ये आधुनिक नगर बन गए।
आधुनिक नगर :-
आधुनिक नगरों के उदय में तीन तत्वों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है 1. औधोगिक पूँजीवाद का उदय 2. उपनिवेशवाद का विकाश तथा 3. लोकतांत्रिक आदर्शो का विकाश। इन कारणों से आधुनिक नगर आर्थिक और राजनितिक गतिविधियों के केंद्र बन गए नगर आधुनिकता के प्रतीक बन गए कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था का स्थान मुद्रा प्रधान अर्थव्यवस्था ने ले लिया। यह अर्थव्यवस्था उधमि प्रवृति से प्रभावित एवं प्रतियोगी था शहरीकरण ने आर्थिक व्यवस्था के साथ - साथ सामाजिक एवं राजनितिक व्यवस्था पर भी गहरा प्रभाव डाला। शहर परस्पर विरोधी छविवाले बन गए।
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