इंगलैंड में औधोगिक क्रांति के कारण
औधोगिक क्रांति सबसे पहले इंगलैंड में हुई ऐसा होने के कुछ विशिष्ट कारण थे ये कारण निम्नलिखित है।
इंगलैंड की भौगोलिक स्थिति :-
इंगलैंड की भौगोलिक स्थिति उधोग - धंधो के विकाश के अनुकूल थी कटे हुए समुद्री किनारो के कारण उसके पास अच्छे बंदरगाह थे अतः समुद्री मार्ग से कच्चा माल आयात करने एंव निर्मित वस्तुओ के निर्यात जो औधोगिकीकरण के आवश्यक तत्त्व है की सुविधा इंगलैंड में थी इंगलैंड बाहरी आक्रमणों से भी सुरक्षित था।
खनिज पदार्थो की उपलब्धता :-
इंगलैंड में प्राकृतिक साधन प्रचुर मात्रा में उपलब्ध थे इंगलैंड के उत्तरी और पशिचमी भाग में लोहा और कोयला की खाने थी इनसे औधोगिक विकाश के लिए खनिज आसानी से उपलब्ध हो गए।
कृषि क्रांति :-
अठारहवीं शताब्दी में इंगलैंड में कृषि क्रांति हुई। इससे कृषि और पशुपालन में व्यापक परिवर्तन आया। इंगलैंड में सरकार पर भूमिपतियों का प्रभाव था अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए इन लोगो ने कृषि और पशुपालन के नए तरीके का इजाद किया टाउनशेंड ने फसलों को बदल - बदलकर चक्रानुसार खेती करने का उपाय सुझाया। खाद का उपयोग कर तथा परती भूमि को जोत में लाकर कृषि का विस्तार किया गया तथा उत्पादन बढ़ाया गया। इसी प्रकार पशुओं के नस्ल में भी सुधार किया गया। वैज्ञानिक और उन्नत कृषि के लिए खेत के बड़े टुकड़ो तथा उनकी घेराबंदी की आवश्यकता पड़ी। अतः भूमिपति वर्ग ने सरकार पर दबाव डालकर बाराबंदी कानून पारित करवाया। इससे कृषि और पशुपालन का विकाश हुआ। अतिरिक्त कृषि उत्पादन से औधोगिक क्रांति में सहायता मिली।
मजदूरो की उपलब्धता :-
बाड़ाबंदी कानून से जहाँ कृषि उत्पादन में वृद्धि हुई एवं भूमिपतिओ को लाभ हुआ वही छोटे किसान अपनी भूमि से बेदखल हो गए उनके सामने आजीविका का प्रश्न उठ खड़ा हुआ ये किसान औधोगिक केंद्रों की ओर जाने और कारखानों में काम करने को विवश हो गए इसलिए इंगलैंड में कल - कारखानों के लिए सस्ते मजदूर सुलभ हो गए।
कुशल कारीगर :-
इंगलैंड में सस्ते मजदूरों के अतिरिक्त पर्याप्त संख्या में कुशल कारीगर भी उपलब्ध थे युद्ध के दौरान यूरोपीय देशो से अनेक कारीगर आकर इंगलैंड में बस गए इंगलैंड के मजदूर उनके संपर्क में आए तथा अपनी कार्यकुशलता बढ़ा ली। इससे औधोगिकीकरण में सहायता मिली।
पर्याप्त पूँजी की उपलब्धता :-
उधोगों और मशीनों में धन लगाने के लिए इंगलैंड के पूँजीपतियों के पास समुचित पूँजी उपलब्ध थी यह पूँजी भूमिपतियों और व्यापारियों के पास थी इन दोनों वर्गो ने अधिक धन कमाने के लिए अपनी पूँजी उधोगों में लगाई इससे पूँजी का अभाव नहीं हुआ तथा औधोगिक विकाश की प्रक्रिया बढ़ी।
प्रगतिशील व्यापारी वर्ग :-
इंगलैंड में व्यापारी वर्ग प्रगतिशील था वह व्यापार का निरंतर विकाश करता रहता था व्यापार के नए स्रोतो की खोज निरंतर की जाती थी अपने उपनिवेशों अमेरिका , अफ्रीका तथा भारत से व्यापारिक संपर्क स्थापित होने से इंगलैंड को कच्चे माल का बड़ा भंडार मिला इससे नए स्थापित उधोगों को कच्चा माल सुगमता से उपलब्ध हो गया। साथ ही कारखानों में तैयार माल के लिए बड़ा बाजार भी मिल गया। ऑगरेजी सरकार भी व्यापार के विकाश के लिए व्यापारियों को संरक्षण और छूट देती थी इससे उत्साहित होकर व्यापारियों ने भी उधोगों में अपनी पूँजी लगानी आरंभ कर दी। ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना ने पूर्वी देशो विशेषतः भारत के साथ व्यापारिक संबंध बढ़ाया।
संयुक्त व्यापारिक कंपनियों की स्थापना :-
औधोगिकीकरण में इंगलैंड में उधोग व्यक्तिगत स्तर पर आरंभ किए गए इससे इंगलैंड का औधोगिक विकाश पूरी तरह नहीं हो सका बाद में संयुक्त व्यापारिक कंपनियों की स्थापना की गई इससे औधोगिक विकाश की गति तीव्र हुई संयुक्त व्यापारिक कंपनियों के कारण उधोगो की स्थापना - संबंधी कठिनाइयाँ दूर हो गई नए उधोग खोलने को प्रोत्साहन मिला। संयुक्त व्यापारिक कंपनियों को बेंको से भी सहायता मिली इससे औधोगिकीकरण बढ़ा।
अनुकूल राजनितिक स्थिति :-
18वी शताब्दी तक इंगलैंड में राजनितिक चेतना का विकाश हो चुका था वह एक राष्ट्र के रूप में संगठित था इसके विपरीत फ्रांस में राजनितिक अस्थिरता थी जर्मनी का एकीकरण नहीं हुआ था वह छोटे - छोटे राज्यों में विभक्त था इंगलैंड में परिस्थिति भिन्न थी यधपि इंगलैंड यूरोपीय युद्धों में भाग लेता था परंतु वे युद्ध इंगलैंड की धरती पर नहीं लड़े जाते थे इससे इंगलैंड के औधोगिक विकाश में बाधा नहीं हुआ।
राजकीय संरक्षण :-
इंगलैंड में औधोगिकीकरण को सरकारी नीतियों से बढ़ावा मिला। सरकार ने उधोगो और व्यवसायों को संरक्षण एवं सहायता दिया। सरकार ने मुक्त व्यापार और अहस्तक्षेपण की नीति अपनाई। इससे व्यापारी धन अर्जित कर अपनी पूँजी उधोग में लगाने लगे।
जनसंख्या में वृद्धि :-
इंगलैंड में जनसंख्या में वृद्धि भी औधोगिक क्रांति का कारण बनी। राज्य द्वारा चिकित्सा एवं गरीबो निसहायो की सहायता मिली। इससे लोग बीमारी , गरीबी , भुखमरी से बच गए। फलतः मृत्यु - दर में कमी हुई तथा जनसंख्या में वृद्धि हुई। इससे उधोग धंधो के विकाश में सहायता मिली।
वैज्ञानिक का योगदान :-
औधोगिक क्रांति लाने में इंगलैंड के वैज्ञानिक का भी महत्वपूर्ण योगदान था इन लोगो ने नए - नए आविष्कार कर नई मशीने बनाई जिनसे वस्त्र उधोग , परिवहन , संचार - व्यवस्था एवं खनन उधोगों में प्रगति हुई। उधोग धंधो में नई मशीनों का व्यवहार आरंभ हुआ। इससे कल - कारखाने स्थापित हुए और कारख़ानेदारी की प्रथा का विकाश हुआ कारख़ानेदारी प्रथा औधोगिकीकरण की प्रमुख विशेषता बन गई।
उपनिवेशवाद :-
उपनिवेशवाद ने भी औधोगिकीकरण में सहायता पहुंचाई। भारत जैसे उपनिवेशों से ब्रिटेन को कच्चा माल आसानी से उपलब्ध हो गया। इससे इंगलैंड के उधोगों , विशेषतः वस्त्र उधोग में तेजी आई। उत्पादित वस्तुओ के लिए भारत में बाजार भी मिल गए। इससे औधोगिकीकरण को बढ़ावा मिला।
परिवहन की सुवधा :-
कारखानों में उत्पादित वस्तुओ तथा कारखानों तक कच्चा माल पहुचाने के लिए आवागमन के साधनो का विकाश किया गया। सड़को एवं जहाजरानी का विकाश हुआ। आगे चलकर रेलवे का भी विकाश हुआ इससे औधोगिकीकरण में सुविधा हुई।
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