सविनय अवज्ञा आंदोलन का महत्त्व एवं परिमाण
सविनय अवज्ञा आंदोलन महात्मा गाँधी द्वारा चलाया जानेवाला दूसरा व्यापक जनआंदोलन था। इसने स्वतंत्रता आंदोलन को एक कदम बढ़ा दिया , आशा की किरणे नजर आने लगी। इस आंदोलन के अनेक महत्वपूर्ण परिणाम हुए 1. सविनय अवज्ञा आंदोलन ने राष्ट्रीय आंदोलन के सामाजिक आधार का विस्तार किया। आंदोलन में विभिन्न सामाजिक वर्गो संपत्र और गरीब किसानो , पूँजीपतियो , श्रमिकों ,छात्रों , बुद्धिजीवियों ,मध्यम वर्गो तथा सामान्य जनता ने भी गाँधीजी से प्रभावित होकर भाग लिया। 2. समाज के विभिन्न वर्गो का राजनीतिकरण हुआ। उनमें राजनितिक एवं राष्ट्रीय चेतना का विकाश हुआ। 3. पहली बार महिलाएँ घरो से निकलकर इस आंदोलन में शामिल हुई। बहिष्कार आंदोलन को सफल बनाने में उनका महत्वपूर्ण योगदान था इस आंदोलन के माध्यम से महिलाओ का सार्वजनिक जीवन में प्रवेश हुआ। 4 सविनय अवज्ञा आंदोलन ने ब्रिटिश आर्थिक हितो को गहरी क्षति पहुँचाई। आर्थिक बहिष्कार की नीति से विदेशी वस्तुओ के आयात में कमी आई जिसने ब्रिटिश आर्थिक हितो पर प्रतिकूल प्रभाव डाला। 5. सविनय अवज्ञा आंदोलन ने राष्ट्रियता की भावना की ओर अधिक आगे बढ़ाया। 6. इस आंदोलन में पहली बार संगठन के नए स्वरूप सामने आए प्रभात फेरी द्वारा लोगो में जागृत लाई गई वानर सेना और मंजरी सेना ने सविनय अवज्ञा आंदोलन को प्रभावशाली बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई राष्टीयतापूर्ण लेखो और निबंधों का पत्र - पत्रिकाओं में प्रकाशन कर राष्टवादी चेतना चलाई गई तथा औपनिवेशिक शासन के विरुद्ध लोगो को संगठित किया गया। 7.सरकार समझ गई की काँग्रेस ही भारतीय जनता की प्रतिनिधि संस्था है इसकी सहमति के बिना सरकार कोई निर्णायक कदम नहीं उठा सकती है इसलिए सरकार ने समानता के आधार पर काँग्रेस से वार्ता की। 8. सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान सरकारी नीतियों का प्रबल विरोध देखकर अंगरेजी सरकार को संवैधानिक सुधारों की घोषणा करनी पड़ी। 1935 का भारत सरकार अधिनियम पारित कर प्रांतीय स्वायत्तता की व्यवस्था की गई फलतः अनेक प्रांतो में काँग्रेसी सरकारों का गठन हुआ प्रांतीय सरकारों ने सामान्य जनता की समस्याओ को सुलझाने का प्रयास किया। उपयुक्त विवेचना से स्पष्ट हो जाता है कि प्रथम विश्वयुद्ध के बाद ही राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन में तेज गति आई। असहयोग एवं सविनय अवज्ञा आंदोलनों ने सामान्य जन को भी स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने का अवसर दिया। शिक्षित मध्यम वर्ग के साथ - साथ किसानो श्रमिकों और महिलाओ में भी राजनितिक चेतना का विकाश हुआ।
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