Manish Sharma

भारत में वन्य पशुओं का संरक्षण क्यों आवश्यक है ?

वन्य पशुओं का संरक्षण 

वन्य पशुओं से समाज को अनेक लाभ है भविष्य के लिए भी इन्हें लुप्त होने से बचाना आवश्यक है इस दृष्टि से सरकार द्वारा राष्ट्रीय प्राणी उद्यान और वन्य जीव अभयारण्य तथा जैव मंडल आरक्षित क्षेत्र स्थापित किए जा रहे है। 

राष्ट्रीय प्राणी उद्यान :-

राष्ट्रीय प्राणी उद्यान वह क्षेत्र है जो राष्ट्र के प्राकृतिक और ऐतिहासिक गौरव को सुरक्षित रखने के लिए स्थायी नियमों द्वारा स्थापित किया गया हो तथा उस क्षेत्र के वन्य जीवन को सुरक्षित रखते हुए इस प्रकार से मनोरंजन उपलब्ध करे की उसमे भावी पीढ़ियों के लिए किसी प्रकार की कटौती न हो भले ही स्थानीय कारणों से उसमें परिवर्तन होता रहे। भारत में राष्ट्रीय उद्यानो की संख्या 102 है जिसमें 85 प्रमुख है।

अभयारण्य :-

अभयारण्य किसी सक्षम अधिकार द्वारा स्थापित वह क्षेत्र है जिसके अंदर जब तक उच्चतम स्थली - व्यवस्था - अधिकारी की अनुमति प्राप्त न की हो तब तक किसी भी पक्षी या पशु को मारना या पकड़ना वर्जित है। 

जैव मंडल :-

जैव मंडल वह क्षेत्र है जहाँ प्राथमिकता के आधार पर जैव विविधता के कार्यक्रम चलाए जाते है विश्व में अभी प्रमुख जैव मंडलों की संख्या 243 है जो 65 देशों में फैले है इनमें से 18 जैव मंडल भारत में है। 

अभी भारत में राष्ट्रीय उधानो और अभयारण्य की कुल संख्या क्रमशः 102 और 528 है यहाँ 18 जीव - आरक्षण क्षेत्रों का भी विकास किया गया है ये जीवों के लिए बहुउद्देशीय आरक्षित क्षेत्र है राष्ट्रीय प्राणि उद्यान अपेक्षाकृत एक विस्तृत क्षेत्र है इसमें एक या अधिक परितंत्र पाए जाते है अभयारण्य की स्थापना मुख्य रूप से वन्य प्राणियों की प्रजातियों को सुरक्षित रखने के लिए होती है। 

भारत का पहला जीव - आरक्षण क्षेत्र नीलगिरि में बनाया गया जो 5520 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है 1988 में नंदादेवी क्षेत्र में और मेघालय के नोकरेक में तीन आरक्षण क्षेत्र स्थापित किए गए अंडमान - निकोबार , अरुणाचल प्रदेश , राजस्थान , गुजरात , असम आदि में जीव - आरक्षण क्षेत्र बनाए जा चुके है। 

सरकारी तौर पर वन संरक्षण का वृहत पैमाने पर उदाहरण 1988 में मिला जब ओडिसा की सरकार ने अपने राज्य में संयुक्त वन प्रबंधन का प्रस्ताव पास किया इस प्रस्ताव के अनुसार ग्रामीण समुदाय और सरकार मिलकर संयुक्त रूप से वनों का संरक्षण और विकास करेंगे। 

वन संरक्षण और वन विकास के उपाय :-

  1. वानिकी शिक्षा बढ़ाई जाए वन - अनुसंधान केंद्र खोले जाए अभी वन विभाग का मुख्य अनुसंधान केंद्र देहरादून में स्थापित है। 
  2. वनों के प्रति नया दृष्टिकोण अपनाया जाए और प्राचीनकाल की वन्य संस्कृति पुनजीर्वित की जाए। 
  3. प्रति वर्ष नए वन लगाए जाए 1952 में प्रत्येक वर्ष वन महोतस्व मनाया जा रहा है। 
  4. वन संरक्षण के लिए नई योजनाए चालू की जाए बाघ परियोजना जिसके अंतर्गत 43 व्याघ्र अभयारण्य है बाघ परियोजना का ही यह परिणाम है की जहाँ 1973 में बाघों की संख्या भारत में 1827 थी वह बढ़कर 1985 में 4002 और 1989 में 4334 हो गई पुनः 2006 में बाघों की संख्या 1411 हो गई थी जो 2010 में बढ़कर 1706 हो गई बाघ संरक्षण का उद्देश्य बाघ के अलावा बड़े आकार के जैव जाति को भी बचाना है देश में हाथी परियोजना और घड़ियाल परियोजना भी चालू हो चुकी है राजस्थान का घाना पक्षी - विहार भारत में सबसे बड़ा है मोर को राष्ट्रीय पक्षी और बाघ को राष्ट्रीय पशु होने का गौरव प्राप्त है। 

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