भारतीय वनों के उत्पाद
भारतीय वनों से अनेक पदार्थ प्राप्त होते है उत्पादों को दो वर्गो में बाँटा गया है -
- इमारती लकड़ी और जलावन जैसे प्रमुख उत्पाद।
- गौण उत्पाद।
प्रमुख उत्पादवाले वनों में टीक , देवदार , साल , शीशम , चीड़ इत्यादि के पेड़ो की बहुलता होती है। गौण उत्पाद के वनों से भी आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण कई उत्पाद उपलब्ध होते है जैसे बाँस , केन , गोंद , रेजिन , डाई , टेन ( रंग - रोगन के पदार्थ ) , लाह , रेशे , चारा , औषधीय पदार्थ इत्यादि।
- 167 महत्वपूर्ण कृषि पादप वनस्पतियों के साथ भारत को विश्व का विविध पौधों का प्रमुख केंद्र माना जाता है।
- चावल , बाजरा ,ज्वार , गन्ना , आम , नींबू , केला और जूट जैसी प्रमुख फसलें भारतीय मूल की है यही से ये विश्व के अन्य भागों में पहुँची है।
- भारत के पश्चिमी घाट , हिमालय क्षेत्र , उत्तर पूर्वी भारत और अंडमान - निकोबार द्वीपसमूह जैव विविधता में अग्रणी है ये चार क्षेत्र विश्व के 34 हॉट स्पॉट में गिने जाते है।
- फसलों की कम से कम 136 तथा वन - संबंधी 320 प्रजातियॉ भारतीय मूल की है।
- भारत के 33 प्रतिशत पुष्पीय पौधे भारतीय मूल के है।
- भारत में अकेले चावल की 50000 से 60000 प्रजातियॉ पाई जाती है।
कुछ महत्वपूर्ण वन - उत्पाद निम्नलिखित है :-
- इमारती लकड़ी
- सानवुड
- प्लाईवुड
- फाइबर बोर्ड
- कागज
- सेल्युलोस
- रबर
- च्युंगम
- कॉर्क
- टैनिन
- खजूर और बॉस
- तारपीन का तेल
- औषधियाँ
- फल और मसाले
इमारती लकड़ी :-
अल्प विकसित क्षेत्रों में इसका 40 प्रतिशत जलावन के रूप में तथा विकसित क्षेत्रों में गृह - निर्माण में उपयोग होता है।
सानवुड :-
इस प्रकार की लकड़ी बहुत मजबूत होती है ये लकड़िया रेल लाइनों के नीचे के स्लीपर बनाने तथा नमीवाले स्थानों पर निर्माण - कार्य में उपयोग की जाती है कोणधारी वनो की लकड़िया से तख्ते , घरों की मुँडेर और नीवे बनाई जाती है महोगनी और रोजवुड से खूबसूरत फंर्नीचर तैयार होते है पाईन की लकड़ी से चिकनी और चमकदार सतह के समान बनते है ये अपेक्षाकृत सस्ते भी होते है।
प्लाईवुड :-
सस्ती लकड़ियों तथा लकड़ी के बुरादों के ऊपर सानवुड की पत्ती साटकर विभिन्न मोटाई का प्लाईवुड बनाया जाता है।
फाइबर बोर्ड :-
लकड़ी के बुरादे , लुगदी और कचरे पदार्थो को सटाकर प्लाईवुड , ब्लैकबॉर्ड , चिपबोर्ड और फर्नीचर बनाए जाते है द्वितीय विश्वयुद्ध के समय जर्मनी में लकड़ी का उपयोग मुख्यतः लड़ाई के जहाजों के लिए होता था और अन्य उपयोग के लिए प्लाईवुड बनाया जाता था जिससे लकड़ी की बचत हो सके। इस प्रकार प्लाईवुड का निर्माण सर्वप्रथम जर्मनी से शुरू हुआ था।
कागज :-
लकड़ी के पल्प से कागज बनाया जाता था।
सेल्युलोस :-
सूती मिलों में रुई अलग करने के बाद कपास के बीजों से सेल्युलोस प्राप्त किया जाता था इससे रेयन बनाया जाता था।
रबर :-
पहले यह भी वनों से प्राप्त किया जाता था परंतु अब इसकी खेती की जाती है।
च्युंगम :-
मध्य अमेरिका के चिकले तथा दक्षिण - पूर्व एशिया के जेलुटांग नामक पौधों के उपयोग से च्यूंगम बनाया जाता है।
कॉर्क :-
ओक की छाल से कॉर्क बनाया जाता है।
टैनिन :-
मैंग्रोव वनों से टैनिन प्राप्त होता है इसका उपयोग चर्म उद्योग में होता है।
खजूर और बाँस :-
खजूर तथा बाँस का उपयोग प्रायः चटाइयाँ , टोकरियाँ , फर्नीचर इत्यादि बनाने में होता है।
तारपीन का तेल :-
कोणधारी वनों से तारपीन का तेल प्राप्त होता है।
औषधियाँ :-
सिनकोना से कुनैन दवा बनती है सुहागा और अनगिनत औषधियाँ विभिन्न औषधीय पौधों से बनाई जाती है।
फल और मसाले :-
पहले ये सभी वनों से ही प्राप्त होते थे परंतु आजकल इन सबकी खेती होने लगी है।
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