रदरफोर्ड का परमाणु मॉडल
रदरफोर्ड नामक वैज्ञानिक ने परमाणु पर विस्तृत अध्ययन करने के बाद एक मॉडल प्रस्तृत किया जिसे रदरफोर्ड का परमाणु मॉडल कहते है इस मॉडल के अनुसार ,
- परमाणु के अंदर का अधिकांश भाग खाली या रिक्त रहता है।
- परमाणु के नाभिक में उसका संपूर्ण द्रव्यमान केंद्रित या निहित रहता है।
- नाभिक का आयतन परमाणु के आयतन की तुलना में नगन होता हैं।
- नाभिक के बाहर इलेक्ट्रॉन एक निश्चित वृताकार पथ पर चक्क्रर काटते रहते है इस वृताकार पथ को कक्षा कहाँ जाता है।
रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल के दोष :-
- रदरफोर्ड के विचार के अनुसार इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर चक्कर काटते रहते है जो कि युक्ति संगत नहीं है क्योंकि इस प्रकार का परमाणु कभी स्थाई नहीं हो सकता है विधुत चुंबकीय सिद्धांत के अनुसार चक्कर लगाने वाले ऋण विधुत आवेशित इलेक्ट्रॉन से लगातार ऊर्जा का ह्रास होता रहेगा फलस्वरूप धीरे - धीरे उसकी कक्षा की त्रिज्या छोटी होती जाएगी और अंत में इलेक्ट्रॉन नाभिक में गिर जाएगा।
- रदरफोर्ड मॉडल में कक्षाओं में उपस्थित इलेक्ट्रॉन की संख्या निश्चित नहीं की गई।
सन 1911 ई० में रदरफोर्ड नामक वैज्ञानिक ने सोने के पतले पत्तरों पर α-कण पर प्रहार कराकर एक प्रयोग किया जिसे रदरफोर्ड का α-कण प्रकीर्णन प्रयोग कहते है इस प्रयोग में उन्होंने α-कण का स्रोत एक रेडियो सक्रिय पदार्थ रेडियम लिया जिससे α-कण उत्सर्जित होते है α-कणों के बीच में सोने की पतली पत्तरों को रखा जाता है जिससे अल्फा कण गुजरते है α-कण का आवेश +2 और द्रव्यमान 4 इकाई होता है यह वस्तुतः हीलियम 2+ आयन है चूकि α-कणों का द्रव्यमान 4 amu होता है अतः तीव्र गति से चल रहे इन α-कणों में पर्याप्त ऊर्जा होती है इस प्रयोग से रदरफोर्ड को निम्नलिखित सूचनाएँ मिली।
- अधिकांश α-कण अपने मार्ग से बिना विचलित हुए स्वर्ण पत्तर को पार करके सीधे निकल जाते है।
- कुछ α-कण अपने मार्ग से थोड़ा विचलित हो जाते है।
- बहुत ही कम α-कण ( 100000 में से एक कण ) टकराकर अपने मार्ग पर पुनः वापस आ जाते है।
- परमाणु में अधिकतर स्थान रिक्त(खाली) है जिसके कारण अधिकतर α-कण उसमें से सीधे निकल जाते है।
- धन आवेशित α-कणों का सभी दिशाओं में विचलित होना यह दर्शाता है कि परमाणु के मध्य स्थान पर कोई धन आवेश उपस्थित रहते है।
- चूकि स्वर्ण पत्तर से टकराकर वापस लौटनेवाले α-कणों की संख्या बहुत कम होती है अतः परमाणु के अंदर उपस्थित धन आवेशित वस्तु का आयतन अत्यंत ही कम होता है।
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