Manish Sharma

जैव रासायनिक चक्र का महत्व

जैव रासायनिक चक्र  

सूर्य की उपस्थिति में जीवमंडल में जैविक घटक से अजैविक घटक और फिर अजैविक घटक से जैविक घटक के बीच परस्पर बदलाव का चक्र चलता रहता है जिसे हम जैव रासायनिक चक्र कहते है इस तरह के हमारे जीवमंडल में कई चक्र है -

  1. जल चक्र 
  2. ऑक्सीजन चक्र 
  3. कार्बन चक्र 
  4. नाइट्रोजन चक्र 
जल चक्र :-

पृथ्वी का करीब तीन - चौथाई भाग जल से ढका हुआ है सूर्य की गर्मी से नदी , तालाब एवं समुंद्र के जल से जलवाष्प बनता है जलवाष्प ऊपर उठता है और संघनित होकर बादल का निर्माण करता है बादल में स्थित जल की बड़ी बूँदे वर्षा के रूप में धरती पर गिरती है प्रकृति में यह चक्र चलता रहता है जिसे जल चक्र कहते है। 
  • जल - चक्र जैविक घटको द्वारा भी संपादित होता है वर्षा - जल के कुछ भाग को मिट्टी अवशोषित कर लेती है मिट्टी से पेड़ - पौधे अपनी जड़ो द्वारा सतत जल अवशोषित करते रहते है जल का कुछ भाग वे प्रकाशसंश्लेषण - प्रक्रिया द्वारा अपना भोजन बनाने में प्रयुक्त करते है तथा शेष जल वे प्रस्वेदन की क्रिया द्वारा वायुमंडल में छोड़ देते है जानवर जलाशयों से जल पीते है और उनके शरीर से जल वाष्पीकृत होकर वायुमंडल में चला जाता है इस तरह से वायुमंडल , जीवमंडल , जलमंडल और स्थलमंडल के बीच लगातार जल चक्र चलता रहता है। 

जल चक्र 

 

ऑक्सीजन चक्र :-

वायुमंडल में ऑक्सीजन की मात्रा लगभग 21 % है जो हमेशा संतुलित रहती है वायुमंडल के ऑक्सीजन का उपयोग निम्नांकित तीन प्रक्रियाओ द्वारा होता है 
  1. श्वसन क्रिया में 
  2. दहन क्रिया में 
  3. नाइट्रोजन के ऑक्साइड के निर्माण में 
श्वसन क्रिया में :-

श्वसन क्रिया में हम ऑक्सीजन ग्रहण करते है और कार्बन डाइऑक्साइड का त्याग करते है जिसे पेड़ - पौधे ग्रहण करते है सूर्य की रोशनी में पेड़ - पौधे क्लोरोफिल की उपस्थिति में अपना भोजन बनाते है और ऑक्सीजन वायुमंडल में लौट जाता है। 

दहन क्रिया में :-

वायुमंडल के ऑक्सीजन का उपयोग दहन प्रक्रिया के लिए भी किया जाता है जिससे कार्बन डाइऑक्साइड बनता है कार्बन डाइऑक्साइड को पेड़ - पौधे ग्रहण करते है। 

नाइट्रोजन के ऑक्साइड के निर्माण में :-

वायुमंडल के ऑक्सीजन का उपयोग वायुमंडल में स्थित नाइट्रोजन से नाइट्रोजन ऑक्साइड बनाने में भी होता है। 
ऑक्सीजन चक्र  


कार्बन चक्र :-

सभी जीव कार्बन - आधारित कार्बनिक यौगिकों , जैसे प्रोटीन , कार्बोहाइड्रेट , वसा , विटामिन और न्यूक्लीक अम्ल पर आधारित होता है वायुमंडल में कार्बन मुख्यतः कार्बन डाइऑक्साइड के रूप में विधमान रहता है कार्बन डाइऑक्साइड जल में भी घुला पाया जाता है ज्यादातर कार्बन डाइऑक्साइड जैविक जगत में प्रकाशसंश्लेषण द्वारा प्रवेश करता है प्रकाशसंश्लेषण प्रक्रिया द्वारा पेड़ - पौधे क्लोरोफिल की उपस्थिति में कार्बन डाइऑक्साइड को ग्लूकोस में बदल देते है ग्लूकोस का उपयोग जीवित प्राणियों में भोजन के रूप में अथवा ऊर्जा प्रदान करने की प्रक्रिया में होता है समुंद्री जल में घुले कार्बन डाइऑक्साइड के द्वारा चूना - पत्थर से बने चट्टान का निर्माण होता है समुद्री जीव - जंतुओं के बाहरी और भीतरी कंकाल भी कैल्शियम कार्बोनेट लवण के बने होते है कई विधियों द्वारा कार्बन डाइऑक्साइड वायुमंडल में पुनः लौटता है जिनमें निम्नलिखित मुख्य है -
  1. जीव - जंतुओं के श्वसन क्रिया द्वारा त्याग किए गए कार्बन डाइऑक्साइड वायुमंडल में लौट जाता है श्वसन क्रिया में जीव - जंतु ऑक्सीजन ग्रहण करते है और कार्बन डाइऑक्साइड का त्याग करते है। 
  2. वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बहुत बड़े पैमाने पर जीवाश्म ईंधनों को जलाने से तथा ज्वालामुखी के विस्फोट से होता है इस प्रकार के कार्बन चक्र से कार्बन डाइऑक्साइड की प्रतिशत मात्रा वायुमंडल में सदैव बनी रहती है। 

कार्बन चक्र  
नाइट्रोजन चक्र :-

नाइट्रोजन चक्र के निम्नलिखित चार चरण होते है -
  1. वायुमंडल में 78 % नाइट्रोजन गैस विधमान है वायुमंडल में नाइट्रोजन के इस रूप को जीव - जंतु श्वसन क्रिया द्वारा नहीं ग्रहण कर पाते है पेड़ - पौधे भी अपने पत्तों द्वारा इस नाइट्रोजन गैस को नहीं ग्रहण कर पाते। विभिन्न प्रक्रियाओ द्वारा वायुमंडल का नाइट्रोजन नाइट्रेट , नाइट्राइट या अमोनिया में परिणत हो जाता है जिसे पेड़ - पौधे प्राप्त कर दूसरे आवश्यक अणुओं में बदल जाते है कुछ फलीदार पौधों की जड़ो में पाए जानेवाले एक खास किस्म के नाइट्रिकारी जीवाणु वायुमंडल के नाइट्रोजन को नाइट्रेट और नाइट्राइड में परिणत कर देते है आकाश में बिजली के चमकने से वायुमंडल का नाइट्रोजन ऊर्जा प्राप्त कर नाइट्रोजन के ऑक्साइड में बदल जाता है। नाइट्रोजन डाइऑक्साइड वर्षा - जल में घुलकर नाइट्रिक तथा नाइड्र्स अम्ल बनाकर भूमि की सतह पर गिरते है धरती पर ये अम्ल पृथ्वी के क्षारीय पदार्थो से अभिक्रिया कर नाइट्रेट और नाइट्राइट बनाते है जो पेड़ पौधे के लिए पोषक तत्व है। 
  2. पेड़ - पौधे नाइट्रेट और नाइट्राइट को मिट्टी से प्राप्त कर उन्हें ऐमिनो अम्ल में बदल देते है जिनका उपयोग प्लांट - प्रोटीन बनाने में होता है। 
  3. जब जंतु या पौधे की मृत्यु हो जाती है तो मिट्टी में मौजूद अन्य बैक्टीरिया मरे हुए पौधे में स्थित प्रोटीन को अमोनिया में बदल देते है इस प्रक्रिया को अमोनीकरण कहते है वायुमंडल के मुक्त नाइट्रोजन का अन्य नाइट्रोजन के यौगिकों में बदलने की क्रिया को नाइट्रोजन स्थायीकरण कहते है हैबर विधि द्वारा अमोनिया का कल्पन नाइट्रोजन स्थायीकरण का उदाहरण है। 
  4. अमोनिया जीवाणु द्वारा नाइट्रेट में परिणत हो जाता है तथा अन्य तरह के विनाइट्रीकारक जीवाणु इन नाइट्रेट एवं नाइट्राइट को नाइट्रोजन तत्त्व में बदल देते है यह नाइट्रोजन चक्र प्रकृति में चलते रहता है। 
नाइट्रोजन चक्र 

Post a Comment

0 Comments