व्यापार का महत्त्व और प्रभाव
सबसे अधिक रोजगार के अवसर प्रदान करने वाला क्रियाकलाप व्यापार ही है इससे होनेवाले लाभों से ही इसका महत्त्व समझा जा सकता है।
वस्तु या सेवाओं का विनिमय :-
भिन्न - भिन्न प्रकार के जलवायु और मिट्टी के आधार पर भिन्न - भिन्न प्रकार की वस्तुओं का उत्पादन होता है कहीं चावल पैदा होता है तो कहीं गेहूँ और कहीं पर कुछ भी नहीं। यही हाल खनिजों का भी है अतः लोग वस्तुओं के पारस्परिक आदान - प्रदान कर काम चलाते है इसी प्रकार सेवाओं का भी आदान - प्रदान होता है मजदूर काम करता है बदले में उसे वेतन मिलता है जिससे वह अपनी जरूरत की सामान खरीदता है सभी लोग बाजार से सब्जी , फल , दवाइयाँ , कपड़े तथा अन्य सामान खरीदते है क्योंकि ये सभी सामान भिन्न - भिन्न स्थानों पर उत्पन्न होते है अंतरराष्ट्रीय व्यापार में यही काम दो देशों के बीच होता है।
अर्थव्यवस्था के विकास की कुंजी :-
किसी देश के विकास की माप उसके व्यापार के आधार पर की जाती है जैसे बाजार में जिस दुकान पर ग्राहकों की भीड़ जमी रहती है उस दुकान के मालिक की आमदनी भी अधिक होती है जिन कारखानों का उत्पाद अधिक बिकता है उनका उत्पादन भी उसी रूप में बढ़ता है और उनकी आर्थिक स्थिति भी विकसित होती है उसी प्रकार वही किसान धनी कहलाता है जिसके खेतों का उत्पादन अधिक हो ताकि अधिक उत्पादन बाजार में बेचे जा सके।
रोजगार के अवसर :-
व्यापार में प्रायः सभी लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध होते है कारखानों , कार्यलयों , विद्यालय इत्यादि में संस्थागत रोजगार मिलते है दुकानों , खेतों में काम करने वाले मजदूर या भवन निर्माण के काम में लगे लोग , फल , सब्जियाँ बेचनेवाले , खुदरा व्यापार करनेवाले लोगों का व्यापार निजी क्षेत्र का होता है दुनियाँ के सभी धनी व्यक्ति किसी न किसी व्यापार के कारण ही अरबपति या खरबपति बने है इनके अलावा , कुछ ऐसे भी व्यापार है जिनमें अप्रत्यक्ष रूप से आय की प्राप्ति होती है फिर भी इस ढंग से भी व्यापार करना लोगों की विवशता हो जाती है क्योंकि इसी से उनकी भोजन , वस्र इत्यादि की आवश्यकताओ की पूर्ति हो सकती है।
बहुविध विकास :-
प्राचीनकाल में भारत के व्यापारी अरब और यूरोप तक रेशम , मसालों इत्यादि का व्यापार करते थे इससे विभिन्न भागों की भाषाओं , संस्कृतियों , रीतिरिवाजों की जानकारी प्राप्त कर लेते थे सब्जी और फल बेचनेवाले उँगलियों पर ही सामानों का मूल्य जोड़ लेते है व्यापार में अनेक तरह के लोगों से मिलना पड़ता है साथ ही लाभ तो होते है इस प्रकार व्यापार से व्यक्ति , समाज और देश का बहुविध होता है।
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