Manish Sharma

काली मिट्टी और लाल मिट्टी की विशेषता को लिखे।

काली मिट्टी  

काली मिट्टी का निर्माण दक्षिणी क्षेत्र के लावावाले ( बेसाल्ट क्षेत्र ) भागों में हुआ है जहाँ अर्द्धशुष्क भागो में इसका रंग काला पाया जाता है कपास और गन्ने के उत्पादन के लिए यह मिट्टी सर्वोत्तम है। 

  • भारत में काली मिट्टी वाली भूमि का क्षेत्रफल लगभग 6.4 करोड़ हेक्टेयर है। 
  • महाराष्ट्र का बड़ा भाग , गुजरात का सौराष्ट्र , मध्य प्रदेश , छत्तीसगढ़ , कर्नाटक , तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में कृष्णा और गोदावरी घाटी , तमिलनाडु , उत्तर प्रदेश , राजस्थान के मालवा खंड में काली मिट्टी के क्षेत्र पाए जाते है। 
  • लोहा ऐलुमिनियमयुक्त पदार्थ टाइटेनोमेग्नेटाइट के साथ जीवांश तथा ऐलुमिनियम के सिलिकेट मिलने के कारण इसका रंग काला होता है। 
  • इसमें पोटाश , चूना , ऐलुमिनियम , कैल्सियम और मैग्नीशियम के कार्बोनेट तो प्रचून मात्रा में होते है परंतु नाइट्रोजन , फॉस्फोरस और जैविक पदार्थो की कमी होती है। 
  • भीगने पर यह मिट्टी चिपचिपी हो जाती है परंतु सूखने पर इसमें गहरी दरारे परती है इससे हवा का नाइट्रोजन इसे प्राप्त होता है। 
  • अत्यंत धूप होने पर भी इसके भीतर नमी विधमान रह सकती है। 
  • यह मिट्टी बहुत उर्वर होती है इसमें सभी प्रकार के खाद्यान्न , कपास , तेलहन , सूर्यमुखी , गन्ना एवं विभिन्न प्रकार की सब्जियाँ , खट्टे फल , तंबाकू का उत्पादन अच्छी तरह होती है 
  • अर्द्धशुष्क क्षेत्रों में खेती के लिए यह अच्छी मिट्टी है सावधानी यही रखनी चाहिए कि वर्षा की पहली फुहार के बाद ही इसे जोत दिया जाए , अन्यथा पानी अधिक होने पर इसकी जुताई कठिन हो जाती है इसी प्रकार , बहुत सूख जाने पर भी इसकी जुताई कठिन है। 
  • कुछ स्थलों पर इसे रेगड़ भी कहते है। 

काली मिट्टी 

लाल मिट्टी 

लाल मिट्टी का निर्माण लोहे और मैग्नीशियम के खनिज से युक्त रवेदार और रूपांतरित आग्नेय चट्टानों के द्वारा होता है इसका रंग लोहे की उपस्थिति के कारण लाल होता है अधिक नम होने पर इसका रंग पीला भी हो जाता है। 
  • इसका pH मान 6.6 और 8.0 के बीच रहता है। 
  • भारत में लाल - पीली मिट्टी का क्षेत्रफल सर्वाधिक लगभग 7.2 करोड़ हेक्टेयर है। 
  • यह मिट्टी दक्कन पठार , पूर्वी और दक्षिणी भागों के 100 सेंटीमीटर से कम वर्षा के क्षेत्रों में पाई जाती है इसका विस्तार पूर्व में राजमहल का पहाड़ी क्षेत्र , उत्तर में झाँसी , पश्चिम में कच्छ तथा पश्चिमी घाट की पर्वतीय ढालो तक है। 
  • इसकी बनावट हलकी , रन्ध्रमय और मुलायम है। 
  • इसमें खनिजों की मात्रा कम है कार्बोनेटों का आभाव है साथ ही नाइट्रोजन और फॉस्फोरस भी नही होता। जीवांश तथा चूना भी कम मात्रा में उपलब्ध है। 
  • तमिलनाडु के प्राय दो तिहाई भाग में लाल मिट्टी पाई जाती है नम होने पर इसका रंग पीला दिखाई पड़ता है। 
  • वैसे तो इस मिट्टी में सभी फसलें उगाई जा सकती है परंतु धान , रागी , तंबाकू ,आलू , मूँगफली और सब्जियों का उत्पादन अधिक होता है निचले भागो में गन्ने की खेती भी की जा सकती है। 
  • इस मिट्टी में हवा मिली होती है अतः बुआई के बाद सिंचाई करना आवश्यक है जिससे बीच अंकुरित हो सके।

लाल मिट्टी 

  

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