भूमि - क्षेत्र का ह्रास
प्रतिवर्ष देश की जनसंख्या बढ़ जाने के कारण प्रतिव्यक्ति भूमि ( खासकर कृषियोग्य भूमि ) की कमी परती जा रही है कल - कारखानों के बढ़ते तथा नगरों के विकास से भी भूमि का ह्रास हुआ है भूमि के बढ़ते ह्रास को रोकना आवश्यक है अधिक सिंचाई से भी समस्या उत्पन्न हो रही है जल - जमाव के कारण निचली भूमि बेकार हो जाती है राजस्थान के बाद दूसरा समस्याग्रस्त राज्य गुजरात है जहाँ नमक के प्रभाव से ऊंची भूमि खेती लायक नहीं रह पाती। इसके बाद हिमाचल प्रदेश है जहाँ बर्फ जमी रहने के कारण राज्य का चौथाई भाग खेती करने लायक नहीं रहता है मध्य प्रदेश , राजस्थान , उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में अनेक छोटे - छोटे टुकड़े ऊसर है जहाँ खेती करना लाभप्रद नहीं रहता है भूमि के कटाव से भी भूमि क्षेत्र घट रहा है पहाड़ी ढालो पर वर्षा जल से , शुष्क भागो में वायु अपरदन तथा अन्य मानवीय कारणों से भूमि का ह्रास हो रहा है।
भूमि निम्नीकरण :-
उपग्रह और भू-सर्वेक्षण विभाग के चित्रों और सर्वेक्षणों से मुख्य चार प्रकार से भूमि के गुणों में कमी , अर्थात निम्नीकरण का अनुभव किया गया है ये कारण है - लवणता , जल - जमाव , वनों के बीच खाली जमीन और बर्फीली जमीन।
मिट्टी का कटाव - एक गंभीर समस्या :-
वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर का कहना है कि भारत में प्राय 13 करोड़ हेक्टेयर भूमि का निम्नीकरण हुआ है वनों में लाखों - करोड़ो लोग भी रहते है जिनका जीवन इन्ही वनों पर निर्भर है आवास , सड़क एवं उधोगों में भी वन क्षेत्र तथा कृषि भूमि का उपयोग अधिक हो रहा है अतः संभावित और बंजर भूमि पर वृक्षारोपण अत्यावश्यक है।
भारत की करीब 13 करोड़ हेक्टेयर भूमि निम्नीकृत है इसमें लगभग 28 प्रतिशत निम्नीकृत भूमि वनो के अंतर्गत है 56 प्रतिशत क्षेत्र जल अपरदित है और शेष भाग क्षारीय तथा लवणीय हो गया है कैल्शियम तथा मैग्नीशियम के लवण इसे क्षारीय बनाते है कुछ लवण इसमें अम्लीयता उत्पन्न करते है खनिजों के दोहन तथा पशुचारण से मिट्टी का बड़ा भाग उर्वरता खो देता है सीमेंट के उधोगों के पास की मिट्टी भी उपजाऊ नहीं रह पाती , वर्तमान में अनेक उधोगों के कचरे से भी भूमि प्रदूषित हो रही है।
- उपजाऊ भूमि पर कल - कारखाने या सरकारी कार्यालय न स्थापित किए जाए।
- जलमग्न भूमि का उद्धार किया जाए और उसका उचित उपयोग किया जाए।
- जनसंख्या - वृद्धि की दर में कमी लाई जाए।
- पहाड़ी भागों में सीढ़ीनुमा खेत बनाकर या पेड़ लगाकर भूमि - क्षरण रोका जाए।
- मरुस्थल के सीमावर्ती क्षेत्र में झाड़िया लगाकर मरुभूमि के प्रसार को रोका जाए ,
- कारखानों के आसपास औधोगिक कचरों को यत्र - तत्र फैलाने से रोका जाए।
- देश को प्रौद्योगिकी में धनी बनाया जाए प्रौद्योगिकी के विकास से भूमि - क्षेत्र का ह्रास भी रोका जा सकता है।
- प्राकृतिक आपदाओं से देश की रक्षा की जाए इसमें सरकार के सहयोग की आवश्यकता है।
- पर्वतीय भागों में रिक्त स्थानों पर वृक्ष लगाए जाए पेड़ो का काटना रोका जाए।
- वायु अपरदन को रोकने के लिए पशुचारण पर प्रतिबंध लगना चाहिए विशेषतः उन क्षेत्रों में जहाँ जानवरो के खुरों से उखड़ी मिट्टी के उड़ जाने की संभावना अधिक हो।
- खनन - क्षेत्रों में अयस्क का शोधन खदान पर ही हो तथा जहाँ खनिज निकालने का काम पूरा हो जाए वहाँ भूमि को समतल कर दिया जाए।
- रेगिस्तानों में कटीली झाड़िया लगाने से वायु अपरदन को रोका जा सकता है।
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