जैव शक्ति का सिद्धांत
कार्बनिक यौगिक के निर्माण के सद्रर्भ में बर्जीलियस नामक वैज्ञानिक ने एक सिद्धांत का प्रतिपादन किया जिसे जैव शक्ति का सिद्धांत कहते है इस सिद्धांत के अनुसार सजीवों में एक अद्भूत शक्ति होती है जिसके कारण जीवो के शरीर में कार्बनिक यौगिक का निर्माण होता है लेकिन इसे प्रयोगशाला में नहीं बनाया जा सकता है।
जैव शक्ति के सिद्धांत का अंत :-
सन 1828 ईo में बर्जीलियस का शीर्ष फ्रेटिक वोलर ने प्रयोगशाला में अमोनियम सल्फेट तथा पौटेशियम साइनेट को प्रयोगशाला में गर्म करके अमोनियम साइनेट बनाया अब अमोनियम साइनेट को गर्म करने पर यूरिया का निर्माण हुआ अतः यूरिया प्रयोगशाला में बनाया जाने वाला प्रथम कार्बनिक यौगिक है।
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